Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Mar, 2020 10:29 AM
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हिमाचल प्रदेश में अनेकों धर्मस्थल प्रतिष्ठित हैं, जिनमें बाबा बालक नाथ धाम दियोटसिद्ध उत्तरी भारत में एक दिव्य सिद्ध पीठ है। यह पीठ हमीरपुर से 45 किलोमीटर दूर दियोटसिद्ध नामक सुरम्य पहाड़ी पर है।
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हिमाचल प्रदेश में अनेकों धर्मस्थल प्रतिष्ठित हैं, जिनमें बाबा बालक नाथ धाम दियोटसिद्ध उत्तरी भारत में एक दिव्य सिद्ध पीठ है। यह पीठ हमीरपुर से 45 किलोमीटर दूर दियोटसिद्ध नामक सुरम्य पहाड़ी पर है। इसका प्रबंध हिमाचल सरकार के अधीन है। हमारे देश में अनेकानेक देवी-देवताओं के अलावा 9 नाथ और 84 सिद्ध भी हुए हैं, जो सहस्त्रों वर्षों तक जीवित रहते हैं और आज भी अपने सूक्ष्म रूप में वे लोक में विचरण करते हैं।
भागवत पुराण के छठे स्कंद के सातवें अध्याय के अनुसार, देवराज इंद्र की सेवा में जहां देवगण और अन्य सहायकगण थे, वहीं सिद्ध भी शामिल थे। नाथों में गुरु गोरखनाथ का नाम आता है। इसी प्रकार 84 सिद्धों में बाबा बालक नाथ जी का नाम आता है। बाबा बालक नाथ जी के बारे में प्रसिद्ध है कि इनका जन्म युगों-युगों में होता रहा है। प्राचीन मान्यता के अनुसार बाबा बालक नाथ जी को भगवान शिव का अंश अवतार ही माना जाता है।
श्रद्धालुओं में ऐसी धारणा है कि बाबा बालक नाथ जी 3 वर्ष की अल्पायु में ही अपना घर छोड़कर चार धाम की यात्रा करते-करते शाहतलाई (जिला बिलासपुर) नामक स्थान पर पहुंचे थे। शाहतलाई में ही रहने वाली माई रत्नो नामक महिला ने जिनकी कोई संतान नहीं थी, बाबा बालक नाथ जी को अपना धर्म का पुत्र बनाया।
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बाबा जी ने 12 वर्ष माई रत्नो की गऊएं चराईं। एक दिन माता रत्नों के ताना मारने पर बाबा जी ने अपने चमत्कार से 12 वर्ष की लस्सी व रोटियां एक पल में लौटा दीं। इस घटना की जब आसपास के क्षेत्रों में चर्चा हुई तो ऋषि-मुनि व अन्य लोग बाबा जी की चमत्कारी शक्ति से बहुत प्रभावित हुए। गुरु गोरखनाथ जी को जब यह ज्ञात हुआ कि एक बालक बहुत ही चमत्कारी शक्ति वाला है, तो उन्होंने बाबा बालक नाथ जी को अपना चेला बनाना चाहा परन्तु बाबा जी के इंकार करने पर गोरखनाथ बहुत क्रोधित हुए। जब गोरखनाथ ने उन्हें जबरदस्ती चेला बनाना चाहा तो बाबा जी शाहतलाई से उडारी मारकर धौलगिरि पर्वत पर पहुंच गए, जहां आजकल बाबा जी की पवित्र सुंदर गुफा है। मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही अखंड धूणा सबको आकर्षित करता है।
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यह धूणा बाबा बालक नाथ जी का तेजस्थल होने के कारण भक्तों की असीम श्रद्धा का केन्द्र है। धूणे के पास ही बाबा जी का पुरातन चिमटा है। बाबा जी की गुफा के सामने ही एक बहुत सुंदर गैलरी का निर्माण किया गया है, जहां से महिलाएं बाबा जी की सुंदर गुफा में प्रतिष्ठित मूर्ति के दर्शन करती हैं। सेवक जन बाबा जी की गुफा पर रोट का प्रसाद चढ़ाते हैं।
बताया जाता है कि जब बाबा जी गुफा में आलोप हुए तो यहां एक (दियोट) दीपक जलता रहता था, जिसकी रोशनी रात्रि को दूर-दूर तक जाती थी इसलिए लोग बाबा जी को, दियोट सिद्ध के नाम से भी जानते हैं। लोगों की मान्यता है कि भक्त मन में जो भी इच्छा लेकर जाते हैं वह अवश्य पूरी होती है। इसलिए देश-विदेश से श्रद्धालु बाबा जी के मंदिर में अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने आते हैं। इस बार बाबा जी का वार्षिक मेला 14 मार्च से शुरू हो रहा है।