Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 12:19 PM
भगवान शिव के कई नाम है। इनके भक्त इन्हें कई अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। जैसे कोई भोलेनाथ, कोई बाबा बर्फानी, कोई शंकर तो कोई त्रिपुरारी आदि। इन्हीं नामों में से भोलेनाथ का एक नाम भूतनाथ भी है।
आज संपूर्ण विश्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का पर्व महाशिवरात्रि पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मना रहा है। वहीं दूसरी ओर छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी में भी इस पर्व को लेकर खासी धूम देखने को मिल रही है। भोले बाबा अपने हर रूप में भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इस मंदिर में बाबा भूतनाथ के नाम से विख्यात हैं।
पौराणिक कथा
कहा जाता है कि पुरानी मंडी से व्यास नदी के दूसरी ओर जहां पर वर्तमान मंडी शहर बसा है, प्रचीन समय में यह स्थान जंगल हुआ करता था। पुरानी मंडी के एक ग्वाले की कपिल नाम की गाय हर दिन नदी पार करके जंगल में घास चरने आती थी और शाम को वापस घर लौटती थी। यह गाय भूतनाथ मंदिर के पास खड़ी हो जाती और उसके थनों से अपने आप ही दूध की धारा निकलने लगती थी। जब यह खबर वहां रहने वाले लोगों को पता चली तो उन्होंने अपने राजा को जाकर इसके बारें में बताया। इसके बाद राजा अजबेर सैन के सपने में भगवान शिव ने दर्शन दिए और उसे बताया कि जिस स्थान पर गाय के थनों से दूध बहता है। वहां शिवलिंग स्थापित है।
उन्होंने राजा को कहा कि यहां पर एक भव्य मंदिर बनवाकर इसे भूतनाथ का नाम दिया जाए। भगवान के निर्देशानुसार जब राजा ने मौके का मुआयना करवाया तो यह बात सच्ची हुई। जमीन में भविष्यवाणी के अनुसार शिवलिंग स्थापित था और गाय शिवलिंग को प्रभु कृपा से हर रोज दूध चढ़ाती थी।1527 इस्वी में राजा अजबेर सैन ने शिखारा शैली से मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर निर्माण से आज तक यहां पर भगवान भूतनाथ की श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। देश विदेश से आने वाले सैलानियों के लिए भी मंडी शहर में बसा यह मंदिर का आकर्षण का केंद्र बना रहता है। शिवरात्रि का त्यौहार यहां पर हर वर्ष पूरे एक सप्ताह तक मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि के मेले का इतिहास भी इसी भूतनाथ मंदिर के साथ जुड़ा है।