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Baba buddha ji birthday: बाबा बुड्ढा जी के जन्मदिवस पर पढ़ें उनके जीवन से जुड़ी अनमोल कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Oct, 2022 07:26 AM

baba buddha ji birthday

पूर्ण ब्रह्मज्ञानी बाबा बुड्ढा जी एक ऐसे सर्वगुण सम्पन्न, सर्वांगीण गुरसिख थे जिनकी आंखों के

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Baba buddha ji birthday 2022: पूर्ण ब्रह्मज्ञानी बाबा बुड्ढा जी एक ऐसे सर्वगुण सम्पन्न, सर्वांगीण गुरसिख थे जिनकी आंखों के सामने गुरु इतिहास का लगभग आधा हिस्सा बीता। गुरु नानक साहिब सहित पहली 8 पातशाहियों के दर्शन, अपने हाथों से पांच गुरु साहिबान के गुरता गद्दी ग्रहण करने के समय व श्री हरिमंदिर साहिब में श्री गुरु ग्रंथ के पहले प्रकाश के समय पहले प्रमुख ग्रंथी होने का उच्च पद और सम्मान हासिल किया।

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Baba budha ji story: सभी गुरु साहिबान बाबा बुड्ढा जी का बहुत आदर करते थे। कहा जाता है कि बाबा बुड्ढा जी के सम्मान में स्वयं पंचम पातशाह कई बार खड़े होते थे। बाबा बुड्ढा जी ने अनेक संकटों के समय में अपनी दूरदर्शिता और कुशल बुद्धि से सिखों का मार्गदर्शन किया और सभी को संगठित रखा। बाबा बुड्ढा जी एक कुशल प्रबंधक और प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ एक आदर्श गुरसिख थे।

Baba budha ji real name: बाबा बुड्ढा जी का जन्म सम्वंत् 1563 विक्रमी, 7 कार्तिक (आज के अनुसार 23 अक्तूबर) को भाई सुघा जी रंधावा के घर माता गौरां जी की कोख से गांव कत्थूनंगल जिला अमृतसर में हुआ था। माता-पिता ने उनका नाम बूड़ा रखा। 12 साल की उम्र में उनकी मुलाकात गुरु नानक देव जी से मवेशी चराने के दौरान हुई थी। गुरु साहिब ने बूड़ा के विचार सुनकर कहा यद्यपि आप युवा हैं लेकिन ज्ञान के मामले में आप एक युवा नहीं बल्कि एक बूढ़े व्यक्ति हैं। उसी दिन से उनका नाम बुड्ढा हो गया।

Birthday of Baba Buddha Jee: 1 माघ 1645 को गुरु अर्जुन देव जी ने श्री हरमंदिर साहिब की नींव रखी, उस समय बाबा बुड्ढा जी ने ही अरदास की थी। इतिहास बताता है कि गुरु अर्जुन देव जी को एक बलिदानी योद्धा पुत्र प्राप्त होने का वरदान बाबा बुड्ढा जी से मिला था और श्री गुरु हरगोबिंद साहिब ने अवतार धारण किया।

Baba Budhha Ji Birthday: पंचम पातशाह की शहादत के बाद श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी को छठे पातशाह के रूप में गुरता गद्दी पर विराजमान किया गया और मीरी-पीरी की दो तलवारें पहनाईं। जब जहांगीर ने गुरु हरगोबिंद जी को ग्वालियर के किले में कैद कर लिया तो बाबा बुड्ढा जी ने ही सिखों का मनोबल बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई।

Brahm Giani Baba Budha Ji: अंत समय को निकट देखकर बाबा बुड्ढा जी की इच्छा के अनुसार बाबा जी के शरीर छोड़ने से पहले सतगुरु ने रामदास नगर में बाबा बुड्ढा जी को दर्शन दिए। अंत में 14 माघ सम्वत् 1688 ई. को 125 वर्ष की आयु में ब्रह्मज्ञानी बाबा बुड्ढा जी गुरु ज्योति में विलीन हो गए।

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