Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Jan, 2022 11:52 AM
अद्वितीय शहादत का दीप जलाने वाले, शहीद मिसल के जत्थेदार बाबा दीप सिंह जी शहीद का जन्म 26 जनवरी, 1682 को पिता श्री भगता जी तथा माता जीऊणी जी के गृह पहूविंड, जिला तरनतारन में हुआ। 18 वर्ष की आयु में वह अपने माता-पिता के साथ श्री आनंदपुर साहिब में...
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Baba Deep Singh Ji Birthday 2022: अद्वितीय शहादत का दीप जलाने वाले, शहीद मिसल के जत्थेदार बाबा दीप सिंह जी शहीद का जन्म 26 जनवरी, 1682 को पिता श्री भगता जी तथा माता जीऊणी जी के गृह पहूविंड, जिला तरनतारन में हुआ। 18 वर्ष की आयु में वह अपने माता-पिता के साथ श्री आनंदपुर साहिब में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दर्शनों के लिए गए। माता-पिता गांव लौट आए परन्तु ये वहीं रुक कर दशमेश पिता जी की सेवा में रहने लगे। इन्हें दशम पिता जी के हाथों अमृत-पान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
The Life of Baba Deep Singh Ji: इन्हें गुरु जी ने गुरबाणी-अध्ययन की शिक्षा देने के साथ ही शस्त्र-संचालन में भी निपुण किया। गुरु जी की कृपा से 20-22 वर्ष की आयु में बाबा जी ने युद्ध-कला में निपुण होकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा लड़े गए युद्धों में अपनी युद्ध कला का बखूबी प्रदर्शन किया। कुछ समय बाद ये अपने गांव पहूविंड आकर स्थानीय क्षेत्र के लोगों में सिख धर्म के प्रचार का काम निष्ठा पूर्वक करने लगे। विशेषकर युवा वर्ग इनसे बहुत प्रभावित हुआ। इसके बाद वह पुन: अपने गुरु जी के पास सेवा हेतु उपस्थित हुए।
Baba Deep Singh Ji story: ये उच्च कोटि के विद्वान थे। गुरु जी का आदेश पाकर ये तलवंडी साबो श्री दमदमा साहिब (गुरु की काशी) जाकर सिखी का प्रचार-प्रसार करने लगे। यहीं इन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पावन बीड़ (स्वरूप) तैयार की। तलवंडी साबो रहते हुए भाई मनी सिंह जी के साथ मिलकर तैयार की गई पावन बीड़ के अलावा चार और पावन हस्तलिखित बीड़ें तैयार कीं। सन् 1701 ई. में जब बाबा बंदा सिंह बहादुर जालिमों द्वारा गुरु-घर तथा गुरु-परिवार के साथ किए गए जुल्मों का हिसाब चुकता करने के लिए पंजाब आए, उस समय बाबा दीप सिंह जी ने भी सैंकड़ों जांबाजों की फौज साथ लेकर उनका पूरा साथ दिया था। शूरवीर सिंहों ने शत्रुओं को जंग-ए-मैदान में करारी शिकस्त दी।
Shaheed Baba Deep Singh Ji: जब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी दक्षिण की ओर गए, तब वह बाबा दीप सिंह जी को तलवंडी साबो की सेवा का कार्य सौंप कर गए थे। बाबा जी यहीं रह कर सिखी का प्रचार तथा गुरबाणी की व्याख्या कर सिख प्रचार के इस केंद्र को चलाते रहे। अहमद शाह अब्दाली ने भारत पर अनेक आक्रमण किए। हर बार उसका रास्ता रोक कर उसकी सेना को क्षति पहुंचाने वाले तथा उसके द्वारा नियुक्त शासकों को चुनौती देने वाले सिखों से वह बहुत परेशान था। उसने सिखों का अस्तित्व मिटाने के लिए क्रूर शासक ‘जहान खान’ को लाहौर का गवर्नर नियुक्त कर दिया।
Baba Deep Singh Ji Birthday: ‘जहान खान’ ने अपने सैनिक जत्थे गांव-गांव भेज कर और सिखों को ढूंढ-ढूंढ कर शहीद करवाना शुरू कर दिया। यही नहीं ‘जहान खान’ ने सन् 1757 ई. में श्री अमृतसर को अपना मुख्य निशाना बना लिया और सिखों के जज्बात कुचलने को श्री हरमंदिर साहिब की इमारत को ढहा कर पवित्र सरोवर को मिट्टी से भरवा दिया। जब बाबा दीप सिंह जी को यह समाचार मिला तो उनके हृदय में क्रोध की ज्वाला धधक उठी। बाबा जी ने उसी समय श्री हरमंदिर साहिब की पवित्रता को ठेस पहुंचाने वालों के साथ दो-दो हाथ करने का निर्णय किया और आसपास के क्षेत्रों में सिखों को सूचना भेज दी और मालवा क्षेत्र से कूच करते समय खालसा दल के जांबाजों की संख्या पांच हजार से अधिक हो गई।
What is Baba Deep Singh ji: बाबा जी ने अपने 18 सेर वजनी खंडे से लकीर खींची और कहा, ‘‘जो शहादत देने के लिए तैयार हैं वही इस लकीर को पार करें।’’ सभी सिख लकीर पार कर गए तथा जयकारे गुंजाते हुए श्री अमृतसर की ओर बढ़ने लगे। श्री अमृतसर की परिधि से पांच मील बाहर गांव गोहलवड़ में ‘जहान खान’ के 20,000 सैनिकों से घमासान युद्ध में सिंहों ने जहान खान की सेना को पीछे हटने के लिए विवश कर दिया। इस युद्ध में बाबा दीप सिंह सिंह जी के सहायक भाई दयाल सिंह ने जहान खान (जो हाथी पर बैठा हुआ था) का सिर काटकर उसे मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद शहर के निकट पुन: भयंकर युद्ध हुआ। इसमें बाबा जी के साथी भाई धरम सिंह, भाई खेमू सिंह, भाई मान सिंह और भाई राम सिंह अन्य अनेक सिंहों सहित शहीद हो गए।
Baba Deep Singh: बाबा दीप सिंह जी गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद लड़ते हुए आगे बढ़ते रहे। कुछ इतिहासकारों के अनुसार उनका शीश धड़ से अलग हो गया, लेकिन उनकी भक्ति की शक्ति का करिश्मा कहिए कि बाबा जी ने अपना प्रण पूर्ण करने के लिए अपना शीश बाएं हाथ की हथेली पर रख लिया और बिना शीश के एक अद्भुत युद्ध का अद्वितीय करिश्मा दिखाते हुए श्री हरमंदिर साहिब की परिक्रमा तक जा पहुंचे। यहां तक पहुंचते-पहुंचते अन्य पठान सेनापतियों में से साबर अली खान, रुस्तम अली खान तथा जबरदस्त खान भी मारे गए।
Baba Deep Singh Ji Birth Story In Hindi: इतने अधिक सेनापति मारे जाने पर पठानी, अफगानी फौज के हौसले पूरी तरह टूट गए और वे सभी श्री हरमंदिर साहिब का घेराव छोड़ भाग खड़े हुए। बाबा दीप सिंह जी अद्वितीय साहस का पराक्रम दिखाकर, शहादत का दीप जलाकर परम पिता प्रभु के चरणों में विराजमान हो गए। बाबा दीप सिंह जी जैसा वृद्ध सेनापति, जांबाज योद्धा, अदम्य साहस वाला शूरवीर, बहादुर विश्व के इतिहास में अन्य कोई नहीं मिलता। बाबा दीप सिंह जी के शहीदी प्राप्त स्थल पर इनकी यादगार बनी हुई है। जिस स्थान पर बाबा जी के पार्थिव शरीर का दाह-संस्कार किया गया वहां गुरुद्वारा शहीदगंज साहिब, श्री अमृतसर में सुशोभित है।