mahakumb

Bahula chaturthi 2020: अपने बच्चों की खुशहाली के लिए आज शाम अवश्य करें ये काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Aug, 2020 08:02 AM

bahula chaturthi vrat

अंग अंग में देव बसे, बहे क्षीर की धार। वैतरणी वो पार करे, गौवत्सा पूजे सब संसार।। शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी बहुला चौथ या बहुला चतुर्थी कहलाती है। हमारी सनातन संस्कृति का यह उद्देश रहा है की

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Bahula chaturthi 2020: शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी बहुला चौथ या बहुला चतुर्थी कहलाती है। हमारी सनातन संस्कृति का यह उद्देश रहा है की प्राणियों में सदभाव रहे और विश्व का कल्याण हो। हमारी संस्कृति में सभी जीव-जंतुओं के महत्व को स्वीकार किया है। धार्मिक दृष्टिकोण से बहुला चतुर्थी मूलतः गाय माता के पूजन का पर्व है। जिस प्रकार गाय माता अपना दूध पिलाकर मनुष्य को पोषित करती है उसी कृतज्ञता की भावना से हम सभी को गाय को सम्मान देकर पूजना चाहिए। बहुला चतुर्थी पूजन संतान प्रदायक तथा ऐश्वर्य को बढ़ाने वाला है। धार्मिक शास्त्रों में ऐसा वर्णित है की जीवन में माता से बढ़कर गौ माता का स्थान है। 

PunjabKesari Bahula Chaturthi vrat

उपाय और पूजन विधि: सुबह के समय दैनिक कृत से निवृत्त होकर हाथ में गंध, चावल, पुष्प, दूर्वा, द्रव्य, पुंगीफल और जल लेकर विधिवत नाम गोत्र वंशादि का उच्चारण कर संकल्प लें। शास्त्रों के अनुसार इस दिन विशेषतः गाय के दूध पर बछड़े का अधिकार होता है। इस दिन गाय के दूध से बनी हुई कोई भी सामग्री नहीं खाएं। आज उपवास रखकर मिट्टी से बने शेर, गाय और बछड़े की पूजा करें। बहुला चतुर्थी में शेर बनाकर बहुला नामक गाय की परीक्षा लेने वाले भगवान कृष्ण की कथा सुनें।

PunjabKesari Bahula Chaturthi vrat
संध्या के समय गणपति, गौरी, भगवान शंकर और श्रीकृष्ण एवं बछड़े के साथ गाय का पंचोउपचार पूजन करें। दूर्वा से पानी में चित्रों पर पानी के छींटे मारे। तिल के तेल का दीपक जलाएं। चंदन की धूप जलाएं। चंदन का तिलक अर्पित करें। पीले फूल अर्पित करें। गुड़ और चने का भोग लगाएं। इसके उपरांत चावल, फूल, दूर्वा, रोली, सुपारी और दक्षिणा दोनों हाथों में लेकर भगवान श्रीकृष्ण और गाय की इस श्लोक के साथ वंदना करें।
श्लोक: कृष्णाय वासुदेवाय गोविन्दाय नमो नमः।। त्वं माता सर्वदेवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम्। त्वं तीर्थं सर्वतीर्थानां नमस्तेऽस्तु सदानघे।।

PunjabKesari Bahula Chaturthi vrat
पूजन के बाद मिट्टी से बने शेर और गाय और बछड़े पर चावल, फूल, दूर्वा, रोली, सुपारी और दक्षिणा चढ़ा दें तथा निम्न मंत्र का तुलसी की माला से जाप करें।


मंत्र: याः पालयन्त्यनाथांश्च परपुत्रान् स्वपुत्रवत्। ता धन्यास्ताः कृतार्थश्च तास्त्रियो लोकमातरः।। 

PunjabKesari Bahula Chaturthi vrat
रात्रि में चन्द्रमा के उदय होने पर उन्हें अर्घ्य दें। शंख में दूध, सुपारी, गंध तथा चावल से भगवान श्री गणेश और चतुर्थी तिथि को भी अर्घ्य दें। जौ तथा सत्तू का भी भोग लगाएं तथा पूजन से निवृत होकर भोग प्रसाद का ही भोजन करें।  इस पूजन और उपाय से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। संतान के सुखों में वृद्धि होती है। घर-परिवार में सुख और शांति विद्यमान होती है। व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। व्यक्ति को मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। जो व्यक्ति संतान के लिए व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें संकट, विघ्न तथा सभी प्रकार की बाधाएं दूर करने के लिए इस व्रत को अवश्य करना चाहिए।

PunjabKesari Bahula Chaturthi vrat

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!