Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Mar, 2025 08:55 AM

Baisakhi 2025: बैसाखी भारतवासियों का सदियों पुराना त्यौहार है। मान्यता है कि इस दिन ऋषि व्यास ने चारों वेदों को सम्पूर्ण किया था। यह भी मान्यता है कि इस दिन राजा जनक ने यज्ञ करके अष्टावक्र से ब्रह्म-ज्ञान की प्राप्ति की थी। यह त्यौहार विक्रमी संवत...
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Baisakhi 2025: बैसाखी भारतवासियों का सदियों पुराना त्यौहार है। मान्यता है कि इस दिन ऋषि व्यास ने चारों वेदों को सम्पूर्ण किया था। यह भी मान्यता है कि इस दिन राजा जनक ने यज्ञ करके अष्टावक्र से ब्रह्म-ज्ञान की प्राप्ति की थी। यह त्यौहार विक्रमी संवत के वैसाख महीने की संक्रांति को मनाया जाता है। सर्दी के बाद मौसम में बदलाव आने के कारण यह त्यौहार मन में नया उल्लास पैदा करता है। वृक्षों के पत्ते प्रकृति में जोश भर देते हैं। किसान अपनी पकी फसल देख कर आनंदित हो जाता है। नई फसल की आमद हर वर्ग को अपनी आर्थिक खुशहाली का संदेश दे रही होती है। इस तरह बैसाखी खुशहाली से जुड़ा विशेष दिवस है।
Happy Baisakhi: बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है। इस कारण इस दिन को मेष संक्रान्ति भी कहते हैं। इस दिन नदियों तथा सरोवरों में स्नान करने की परम्परा भी है। इसके पीछे वैदिक धारणा है कि सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से उसकी किरणें मनुष्य के लाल रक्त अणुओं में एकदम तापमान बढ़ा देती हैं। इस दृष्टि से सूर्योदय से 15 मिनट पूर्व और 15 मिनट पश्चात यानी आधे घंटे के समय के लिए निरंतर बहते साफ पानी में स्नान करने से शारीरिक आरोग्यता प्राप्त होती है। यही कारण है कि बैसाखी के दिन धार्मिक स्थानों के सरोवरों या नदियों में स्नान करना लाभप्रद माना गया है।

ध्यान रखें- स्नान से पूर्व और स्वच्छ होने तक अपने इष्ट का स्मरण करते रहें। धार्मिक मंत्रों का जाप अथवा पाठ भी किया जा सकता है। मान्यता है ऐसा करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है।
