Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Mar, 2025 02:00 PM

Baisakhi 2025: बैसाखी खुशहाली और समृद्धि का पर्व माना जाता है। सर्दी के मौसम में बदलाव आने के कारण यह त्यौहार मन में उल्लास पैदा करता है। इस पर्व को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा और केरल...
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Baisakhi 2025: बैसाखी खुशहाली और समृद्धि का पर्व माना जाता है। सर्दी के मौसम में बदलाव आने के कारण यह त्यौहार मन में उल्लास पैदा करता है। इस पर्व को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा और केरल में इसे पूरम विशु कहा जाता है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, घर में पकवान बनते हैं। मान्यता है कि इसी दिन महर्षि व्यास ने चारों वेदों को संपूर्ण किया था तथा इस दिन राजा जनक ने यज्ञ करके अष्टावक्र से ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की थी।
बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं, जिसके चलते इसे मेष संक्रांति के तौर पर भी मनाया जाता है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के कारण इसे नए सौर वर्ष की शुरूआत भी माना जाता है। इसका नाम वैशाखी इस कारण से पड़ा क्योंकि इस दिन सूर्य विशाखा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। इस दिन गंगा, गोदावरी और कावेरी जैसी धार्मिक महत्व की नदियों में स्नान व दान-पुण्य करने का बड़ा महत्व है।

यह किसानों का भी प्रमुख त्यौहार है। इस दिन वे अपनी नई फसल को लेकर खुशियां मनाते हैं। बैसाखी सदियों पहले से मनाया जाने वाला त्यौहार है लेकिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने इसी दिन खालसा पंथ की स्थापना करके इस त्यौहार को नया रूप दिया। 1699 ई. में बैसाखी के दिन श्री आनंदपुर साहिब स्थित केसगढ़ साहिब में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने एक ऐसा इंकलाबी काम किया, जिसकी मिसाल दुनिया भर में कहीं नहीं मिलती।
