Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Jan, 2023 10:38 AM
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बाजीराव पेशवा मराठा-सेना के प्रधान सेनापति थे। एक बार वह अनेक लड़ाइयों में विजय हासिल करके सेना सहित राजधानी लौट रहे थे। रास्ते में उन्होंने मालवा में अपनी सेना का पड़ाव डाला। सैनिक भूख-प्यास से व्याकुल थे।
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Shrimant Bajirao Peshwa story: बाजीराव पेशवा मराठा-सेना के प्रधान सेनापति थे। एक बार वह अनेक लड़ाइयों में विजय हासिल करके सेना सहित राजधानी लौट रहे थे। रास्ते में उन्होंने मालवा में अपनी सेना का पड़ाव डाला। सैनिक भूख-प्यास से व्याकुल थे। बाजीराव ने अपने एक सरदार को बुलाकर आदेश दिया, तुम अपने साथ 100 सैनिकों को लेकर जाओ और किसी खेत से फसल कटवाकर छावनी में ले आओ।सरदार को रास्ते में एक किसान दिखाई दिया। उन्होंने उससे कहा कि देखो, तुम मुझे इस इलाके के सबसे बड़े खेत पर ले चलो। किसान उन्हें एक बहुत बड़े खेत के पास ले गया। सरदार ने सैनिकों को आदेश दिया, ‘‘सारी फसल काट लो और अपने-अपने बोरों में भर लो।’’
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किसान बोला, ‘‘महाराज, आप इस खेत की फसल न काटें। मैं आपको एक दूसरे खेत पर ले चलता हूं। उस खेत की फसल पककर एकदम तैयार है। सरदार और उसके सैनिक किसान के साथ दूसरे खेत की ओर चल पड़े।
किसान ने कहा, ‘‘महाराज, जितनी फसल चाहिए, इस खेत से कटवा लीजिए।’’
सरदार को किसान की इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया। उसने किसान से पूछा, ‘‘यह खेत तो बहुत छोटा है। फिर तुम हमें वहां से इतनी दूर क्यों ले आए? ’’
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किसान ने नम्रतापूर्वक उत्तर दिया, ‘‘महाराज, नाराज मत होइए। वह खेत मेरा नहीं था। यह खेत मेरा है, इसीलिए मैं आपको यहां ले आया।’’
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किसान के जवाब से सरदार का गुस्सा ठंडा हो गया। वह अनाज कटवाए बिना ही पेशवा के पास पहुंचा। उसने यह बात पेशवा को बताई। पेशवा को अपनी गलती का अहसास हो गया। उन्होंने किसान को उसकी फसल के बदले ढेर सारी अशर्फियां दीं और फसल कटवाकर छावनी पर ले आए।
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