Balaram jayanti: इस विधि से करें बलराम जी की पूजा, होगी हर इच्छा पूरी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Aug, 2024 07:01 AM

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बलराम जयंती भगवान बलराम की जयंती है, जो भगवान कृष्ण के बड़े भाई हैं। बलराम को बल, पराक्रम, और कृषि कला के देवता माना जाता है। उनकी पूजा समृद्धि और शांति के लिए की जाती है। भाद्रपद के

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Balaram jayanti 2024: बलराम जयंती भगवान बलराम की जयंती है, जो भगवान कृष्ण के बड़े भाई हैं। बलराम को बल, पराक्रम, और कृषि कला के देवता माना जाता है। उनकी पूजा समृद्धि और शांति के लिए की जाती है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलराम जयंती का पर्व मनाया जाता है, जो प्रत्येक वर्ष इसी दिन मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को हल छठ या हलषष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। बता दें शास्त्रों में हल से मतलब है बलराम और छठ का मतलब षष्ठी तिथि से बताया गया है। ज्योतिष बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष बलराम जंयती का पर्व श्री कृष्ण जन्माष्टमी से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है। चूंकि द्वापर युग में जब श्री कृष्ण ने जन्म लिया तो शेषनाग जी न इस बार उनके बड़े भाई के रूप में जन्म लिया था इसलिए पहले उनका जन्म हुआ था। धार्मिक ग्रंथों में जितनी श्री कृष्ण की पूजा फलदायी और आवश्यक मानी गई है। उतनी लाभकारी श्री कृष्ण के प्यारे शेषनाग यानि उनके दाऊ भैया की पूजा मानी जाती है।

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धार्मिक किंवदंतियों की मानें तो इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां बलशाली पुत्र की कामना से व्रत रखती हैं। साथ ही भगवान से यह प्रार्थना करती हैं कि वो उन्हें अपने जैसा तेजस्वी पुत्र प्रदान करें। बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें इस बार में कोई जानकारी नहीं है कि श्री कृष्ण के दाऊ को प्रसन्न कैसे किया जाए। यानि कौन सी विधि से इनकी पूजा करनी अति शुभदायक होती है। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि बलराम जयंती के दिन किस तरह से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। 

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Method of worship of Balarama Jayanti बलराम जयंती की पूजा विधि 
प्रत्येक व्रत आदि की तरह बलराम जयंती वाले दिन भी जातक को या व्रती को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करना चाहिए। 
इसके बाद नए वस्त्र धारण करने चाहिए, नए न हो तो नहा धोकर साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और सबसे पहले पूजा घर की सफाई करें। 
सफाई के बाद यहां पर गंगा जल का छिड़काव ज़रूर करें और साथ ही अपने ऊपर भी इसके कुछ छींटे दें। 
पूजा के लिए ऐसी प्रतिमा या चित्र लें जिसमें श्री कृष्ण और बलराम जी एक साथ हों। 
अब प्रतिमा पर फूल अर्पित करें तथा एक फूलों की माला चित्र या प्रतिमा पर पहनाएं और दीप जलाएं। 
चूंकि शास्त्रों में बताया गया है कि बलराम जी का शस्त्र हल है, इसलिए अगर संभव हो तो पूजा में बलराम जी के पास हल ज़रूर रखें। 
इसके बाद बलराम जी को नीले रंग के और भगवान श्री कृष्ण को पीले वस्त्र अर्पित करें।
संतान प्राप्ति के लिए सच्चे मन से बलरमाम स्तुति का पाठ करें। 
आखिर में आरती कर इन्हें पीले रंग का कोई मिष्ठान खिलाते हुअ माखन मिश्री का भी भोग अर्पित करें। 
व्रती इस दिन खास ध्यान रखें कि अनाज व सब्जियों को खाना तो दूर हाथ भी न लगाएं. साथ ही इस दिन दूध का सेवन भी नहीं करना चाहिए। 

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