Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Aug, 2022 12:03 PM
यह तो सभी जानते हैं कि भारत 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों की दास्ता से आजाद हुआ था, लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले का बालुरघाट इलाका 1942 में 3 दिन
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Independence day 2022: यह तो सभी जानते हैं कि भारत 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों की दास्ता से आजाद हुआ था, लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले का बालुरघाट इलाका 1942 में 3 दिन यानी 72 घंटे के लिए अंग्रेजी हुकूमत से आजाद रहा था।
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भारत छोड़ो आंदोलन की आवाज पर वर्ष 1942 में बालुरघाट सहित संलग्न इलाके में स्वतंत्रता सेनानियों ने तत्कालीन प्रशासनिक कार्यालय भवन पर कब्जा करने के साथ-साथ ट्रेजरी लूट कर पूरे देश में हंगामा मचा दिया था।
1942 को 14 से 17 सितम्बर तक बालुरघाट स्वतंत्रता सेनानियों के कब्जे में था यानी ब्रिटिश शासन से मुक्त एक अंचल।
बालुरघाट में बना स्मृति पट्ट आज भी इसका साक्षी है। 1942 के 14 सितम्बर को बालुरघाट के कांग्रेस नेता सरोज रंजन चटर्जी के नेतृत्व में करीब दस हजार लोगों ने बालुरघाट के दक्षिण के अंतिम भाग में (वर्तमान में बांग्लादेश से सटे ग्राम डांगी) से जुलूस निकाला।
लोगों के इस हुजूम ने इस दिन आजादी की मांग लेकर बालुरघाट में तत्कालीन एस.डी.ओ. ऑफिस का घेराव किया। वर्तमान में यह ऑफिस जिला प्रशासन परिसर है।
एस.डी.ओ. भवन पर कब्जा कर आजादी के योद्धाओं ने ब्रिटिश झंडे यूनियन जैक को उतारकर उसकी जगह पर तिरंगा फहरा कर बालुरघाट को आजाद घोषित कर दिया था। इसके बाद आक्रोशित योद्धाओं ने ट्रेजरी भवन में आग लगा दी थी।
आजादी के लिए यह युद्ध इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है। हालांकि, इसके 3 दिन बाद यानी 17 सितम्बर को ब्रिटिश फौज ने मौके पर पहुंचकर फिर से बालुरघाट पर कब्जा कर लिया था।