Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Dec, 2024 07:43 AM
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Shri Banke Bihari ji ka Prakat utsav Vrindavan: आज श्रीबांकेबिहारी मंदिर में विशेष उत्सव होगा। बांके बिहारी जी का भव्य मंदिर वृंदावन में स्थित है। इस मंदिर में बिहारी जी की काले रंग की एक प्रतिमा है। इस प्रतिमा के विषय में मान्यता है कि इस प्रतिमा...
Shri Banke Bihari ji ka Prakat utsav Vrindavan: आज श्रीबांकेबिहारी मंदिर में विशेष उत्सव होगा। बांके बिहारी जी का भव्य मंदिर वृंदावन में स्थित है। इस मंदिर में बिहारी जी की काले रंग की एक प्रतिमा है। इस प्रतिमा के विषय में मान्यता है कि इस प्रतिमा में साक्षात श्रीकृष्ण और राधा समाए हुए हैं इसलिए इनके दर्शन मात्र से राधा-कृष्ण के दर्शन का फल मिल जाता है।
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Shri Banke Bihari ji prakat Utsav ki Badhai: इस प्रतिमा के प्रकट होने की कथा और लीला बड़ी ही रोचक और अद्भुत है इसलिए हर साल मार्गशीर्ष मास की पंचमी तिथि को बांके बिहारी मंदिर में बांके बिहारी प्रकटोत्सव मनाया जाता है। इस प्रतिमा के विषय में मान्यता है कि इस प्रतिमा में साक्षात श्रीकृष्ण और राधा समाए हुए हैं इसलिए इनके दर्शन मात्र से राधा-कृष्ण के दर्शन का फल मिल जाता है।
Banke Bihari story: प्राकट्य कथा
संगीत सम्राट तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास जी भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे। इन्होंने अपने संगीत को भगवान को समर्पित कर दिया था। वृंदावन में स्थित श्री कृष्ण की रासस्थली निधिवन में बैठकर भगवान को अपने संगीत से रिझाया करते थे। भगवान की भक्ति में डूबकर हरिदास जी जब भी गाने बैठते तो प्रभु में ही लीन हो जाते। इनकी भक्ति और गायन से रीझ कर भगवान श्रीकृष्ण इनके सामने आ जाते। हरिदास जी मंत्रमुग्ध होकर श्रीकृष्ण को दुलार करने लगते। एक दिन इनके एक शिष्य ने कहा कि आप अकेले ही श्री कृष्ण का दर्शन लाभ पाते हैं हमें भी सांवरे सलोने का दर्शन करवाएं।
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Banke Bihari katha: इसके बाद हरिदास जी श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबकर भजन गाने लगे। राधा कृष्ण की युगल जोड़ी प्रकट हुई। श्रीराधा और कृष्ण ने हरिदास जी के पास रहने की इच्छा प्रकट की। हरिदास जी ने कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं तो संत हूं। आपको लंगोट पहना दूंगा लेकिन माता को नित्य आभूषण कहां से लाकर दूंगा।
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Who established Bankey Bihari Temple: भक्त की बात सुनकर श्री कृष्ण मुस्कुराए और राधा कृष्ण की युगल जोड़ी एकाकार होकर एक विग्रह रूप में प्रकट हुई। हरिदास जी ने इस विग्रह को बांके बिहारी नाम दिया। बांके बिहारी मंदिर में इसी विग्रह के दर्शन होते हैं।
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बांके बिहारी के विग्रह में राधा कृष्ण दोनों ही समाए हुए हैं जो भी श्रीकृष्ण के इस विग्रह का दर्शन करता है उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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