Edited By Prachi Sharma,Updated: 07 Aug, 2024 07:04 AM
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ( डी.एस.जी.एम.सी.) ने गुरुद्वारों में फिल्मी धुनों या संगीत पर आधारित कीर्तन करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
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जालंधर (इंट): दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ( डी.एस.जी.एम.सी.) ने गुरुद्वारों में फिल्मी धुनों या संगीत पर आधारित कीर्तन करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
कमेटी ने फैसला लिया है कि दिल्ली के ऐतिहासिक गुरुद्वारों में श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से तय मर्यादा के अनुसार कीर्तन करने वाले जत्थों को ही समय दिया जाएगा। वहीं कीर्तन व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है।
अब कीर्तनी जत्थे का पहनावा श्री दरबार साहिब की तर्ज पर पंथ द्वारा अनुमोदित होगा। इसको लेकर सभी गुरुद्वारों के हैड ग्रंथियों को कमेटी की ओर से आदेश जारी किया गया है।
गुरबाणी से छेड़छाड़ रोकने के लिए उठाया कदम
एक रिपोर्ट के मुताबिक धर्म प्रचार कमेटी के चेयरमैन जसप्रीत सिंह करमसर ने कहा कि कुछ समय से देखा जा रहा है कि रागी जत्थों द्वारा फिल्मी धुनों या संगीत पर धुन तैयार करके कीर्तन किया जाता है। साथ ही कुछ रागी जत्थे गुरबाणी की एक पंक्ति लेकर उसे बीच में छोड़ वाहेगुरु, सिमरन करवाने लगते हैं, फिर दूसरी पंक्ति लेकर कीर्तन शुरू कर देते हैं जो मर्यादा के खिलाफ है। पहले के समय में रागों के आधार पर कीर्तन किया जाता था। अगर समय रहते इन्हें रोका नहीं गया तो जैसे सिख इतिहास से छेड़छाड़ हुई है आने वाले समय में गुरबाणी से भी छेड़छाड़ होती चली जाएगी। गुरुद्वारा कमेटी का मानना है कि कीर्तन को सिख धर्म के मूल सिद्धांतों और परंपराओं के अनुसार ही किया जाना चाहिए।