Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Jan, 2025 02:41 PM
Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है और यह न केवल ज्ञान और कला की देवी सरस्वती की पूजा का पर्व है, बल्कि प्रकृति से जुड़ा एक खास उत्सव भी है। इस दिन को नए मौसम की शुरुआत और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
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Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है और यह न केवल ज्ञान और कला की देवी सरस्वती की पूजा का पर्व है, बल्कि प्रकृति से जुड़ा एक खास उत्सव भी है। इस दिन को नए मौसम की शुरुआत और नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ग्रामीण भारत में इसे फसल के त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है, खासकर सरसों के खेतों में, जहां पीले फूल बसंत के आगमन का संदेश देते हैं। मान्यता है कि इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इसे खासतौर पर जीवन में नई शुरुआत और रचनात्मकता का दिन माना जाता है।
वर्ष 2025 की बसंत पंचमी के दिन महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान यानी शाही स्नान होगा। महाकुंभ 144 साल में एक बार आता है, अत: ऐसा शुभ संयोग 144 साल बाद पुन: बनेगा। बसंत पंचमी पर कुछ अन्य शुभ संयोग भी बनेंगे। पहले बात करते हैं बसंत पंचमी के पावन दिन की तो आपकी जानकारी के लिए बता दें यह पावन पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाएगा। बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त 2 फरवरी की सुबह 9:16 से आरंभ होगा और 3 फरवरी को सुबह 6:54 पर समापन। चाहे पंचमी तिथि 3 फरवरी की सुबह तक रहेगी लेकिन उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी का व्रत 2 फरवरी को रखना उत्तम रहेगा। 3 फरवरी को शाही स्नान के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना पुण्यदायी रहेगा। ऐसा दुर्लभ योग बरसों बाद ही बनता है। अन्य शुभ योग कुछ इस तरह बनेंगे-
बसंत पंचमी पर शुभ योग
बसंत पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 07:09 से आरंभ होकर देर रात तक रहने वाला है। सुबह 09:14 पर शिव योग भी रहेगा तत्पश्चात सिद्ध योग लगेगा। सुबह का आरंभ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र से होगा और उसके बाद रेवती नक्षत्र लगेगा। इन शुभ योगों में पवित्र नदियों में डुबकी लगाएं। विद्या की देवी सरस्वती की पूजा करें। शिक्षा संबंधी सामग्री का दान करें। ध्यान लगाएं और कथा, कीर्तन व सत्संग का पूरा आनंद लें।