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Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी पर इस विधि से करें सरस्वती पूजा, मेहनत के प्रयासों में मिलेगी मनचाही सफलता

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Jan, 2025 03:00 PM

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Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी पर सरस्वती माता की पूजा करते समय वास्तु शास्त्र के कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करने से पूजा का प्रभाव और भी अधिक सकारात्मक हो सकता है। सरस्वती माता ज्ञान, कला, संगीत और शिक्षा की देवी हैं और उनकी पूजा के दौरान...

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Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी पर सरस्वती माता की पूजा करते समय वास्तु शास्त्र के कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करने से पूजा का प्रभाव और भी अधिक सकारात्मक हो सकता है। सरस्वती माता ज्ञान, कला, संगीत और शिक्षा की देवी हैं और उनकी पूजा के दौरान वास्तु के नियमों का पालन करने से घर में शांति, समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

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According to Vastu Shastra, things to keep in mind while worshipping Goddess Saraswati वास्तु के अनुसार सरस्वती माता की पूजा करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
पूजा स्थान का चयन: पूजा करने के लिए पूर्व या उत्तर दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है। इन दिशाओं में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचरण होता है। यदि संभव हो तो सरस्वती माता की प्रतिमा या चित्र को पूर्व दिशा की ओर रखते हुए पूजा करें, ताकि आप भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करें।

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पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को पूरी तरह से स्वच्छ और साफ रखें। वास्तु शास्त्र के अनुसार गंदगी से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचरण होता है, जो पूजा के प्रभाव को कम कर सकता है। पूजा स्थान पर खुशबूदार फूल या दीपक रखें, ताकि वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।

सरस्वती माता की प्रतिमा की स्थिति: सरस्वती माता की प्रतिमा को हमेशा स्वस्थ और साफ स्थिति में रखें। प्रतिमा को समान ऊंचाई पर रखें। यह पूजा में सामंजस्य बनाए रखने के लिए जरूरी है।

आसन का चयन: पूजा करते समय आप जो आसन इस्तेमाल करेंगे, वह स्वच्छ और आरामदायक होना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार आसन का चयन कपास या लकड़ी का होना बेहतर रहता है।

दीपक और धूपबत्ती: पूजा में दीपक और धूपबत्ती का इस्तेमाल करें लेकिन यह ध्यान रखें कि दीपक और धूपबत्ती को दक्षिण दिशा में न रखें क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का संकेत होता है। दीपक को पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।

मिष्ठान और प्रसाद: पूजा के समय मिष्ठान या प्रसाद का प्रयोग करें, जो शुभ और ताजे हों। मिष्ठान में साथ में तुलसी रखना अच्छा माना जाता है। प्रसाद को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।

ग्रहों की स्थिति: सरस्वती पूजा के दिन यह देखना अच्छा होता है कि चंद्रमा या सूर्य की स्थिति कैसी है, ताकि आप ग्रहों के अनुकूल समय में पूजा करें। इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त का चयन भी वास्तु के अनुसार बेहतर रहेगा।

सरस्वती माता के मंत्र: पूजा के दौरान सरस्वती माता के मंत्र का जाप करें जैसे: ॐ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम:

यह मंत्र वाणी, बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि करने में मदद करता है। ध्यान रखें कि मंत्र जाप करते समय शांत और एकाग्र मन से पूजा करें।

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वस्त्र का चयन: पूजा करते समय पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है क्योंकि बसंत पंचमी के दिन पीला रंग ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

अगर आप इन वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करते हुए सरस्वती पूजा करते हैं, तो यह न केवल आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाएगा बल्कि आपकी मेहनत और ज्ञान के प्रयासों में सफलता भी प्रदान करेगा।

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