Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Jul, 2024 08:07 AM
सावन का आरंभ होते ही भक्त भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। इसी कोशिश में एक अनोखा अनुष्ठान है ‘कांवड़ यात्रा’। सम्पूर्ण उत्तर भारत में कांवड़-यात्रा के माध्यम
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Kanwar yatra 2024: सावन का आरंभ होते ही भक्त भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। इसी कोशिश में एक अनोखा अनुष्ठान है ‘कांवड़ यात्रा’। सम्पूर्ण उत्तर भारत में कांवड़-यात्रा के माध्यम से भगवान शिव में जन आस्था के दर्शन होते हैं। इस अवसर पर श्रद्धालुजन तन पर केसरिया वस्त्र धारण कर तथा कंधे पर कांवड़ उठाए कई किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए सड़कों पर दिखाई देते हैं। उनकी इस साहसिक यात्रा का एक ही लक्ष्य ‘शिवलिंग का जलाभिषेक’ होता है। शिव भक्त हरिद्वार, गोमुख तथा अन्य पवित्र स्थलों से कांवड़ में गंगाजल भर कर लाते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। कांवड़ियों की मनोकामनाएं भोले बाबा अवश्य पूरी करते हैं, कांवड़ यात्रा के दौरान इन नियमों का पालन अवश्य करें।
कांवड़ियों को नशे जैसे मादक पदार्थ से दूर रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त मांस, मदिरा और तामसिक भोजन को ग्रहण नहीं करना चाहिए।
कांवड़ यात्रा एक बार आरंभ कर दें तो स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें। प्रतिदिन सुबह नहाने के बाद ही कावड़ को छूएं।
कांवड़ यात्रा की अवधि में चमड़े से बना सामान और चारपाई का इस्तेमाल न करें।
किसी भी वृक्ष की छाया के नीचे कांवड़ को न रखें, ऐसा करना वर्जित माना गया है।
भोले बाबा की विशेष कृपा पाने के लिए कांवड़ ले जाते वक्त और वापिस आते समय उनके नाम का जयघोष करना चाहिए।
कांवड़ को अपने सिर के ऊपर नहीं रखना चाहिए, ऐसा करने से अपराध लगता है।