Edited By Prachi Sharma,Updated: 26 Jul, 2024 09:56 AM
ओडिशा के पुरी में हर साल निकलने वाली रथयात्रा जितनी प्रसिद्ध है, उससे भी कहीं अधिक रोचक है यहां के श्रीमंदिर का इतिहास और उसमें भगवान जगन्नाथ के विराजने की कथा।
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Bedi Hanuman Ji Mandir: ओडिशा के पुरी में हर साल निकलने वाली रथयात्रा जितनी प्रसिद्ध है, उससे भी कहीं अधिक रोचक है यहां के श्रीमंदिर का इतिहास और उसमें भगवान जगन्नाथ के विराजने की कथा। पुरी का यह क्षेत्र पुराणों में सप्त पुरियों में से एक है, जिसे स्कंद पुराण में पुरुषोत्तम क्षेत्र, धरती का वैकुंठ तीर्थ और श्रीकृष्ण के शरीर के नील मेघ श्याम रंग के कारण नीलांचल कहा जाता है। माना जाता है कि जगन्नाथ भगवान स्वयं ही श्रीकृष्ण हैं।
जगन्नाथ मंदिर में पूर्व दिशा की ओर जिधर समुद्र है, वहां आंजनेय मंदिर बना हुआ है। इन्हें बेड़ी वाले हनुमान जी और श्रीकृष्ण के ही नाम पर बेड़ी माधव भी कहते हैं। जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालु बेड़ी हनुमान के दर्शन भी जरूर करते हैं। हनुमान जी की स्थापना से ही पुरी मंदिर का निर्माण पूरा हो सका था।
बेड़ी हनुमान मंदिर बहुत प्राचीन है। इसकी स्थापना राजा इंद्रद्युम्न ने करवाई थी। मंदिर में हनुमान जी बेड़ियों में बंधे हैं। ‘बेड़ी हनुमान’ का शाब्दिक अर्थ है ‘जंजीर वाले हनुमान’ और इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। इस मंदिर को दरिया महावीर मंदिर भी कहा जाता है, जहां दरिया का अर्थ समुद्र और महावीर का अर्थ भगवान हनुमान है।
मान्यता है कि जगन्नाथ पुरी को समुद्र के प्रकोप से बचाना हनुमान जी का कर्तव्य है-
मान्यताओं के अनुसार, समुद्र ने भगवान जगन्नाथ के मंदिर को तीन बार नुकसान पहुंचाया था। तो एक बार जब जगन्नाथ मंदिर का निर्माण हुआ, तो समुद्र के देवता वरुण, भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश कर गए और पीछे-पीछे समुद्र का पानी शहर में घुस गया, जिससे मंदिर को काफी नुकसान हुआ।
इसके बाद भक्तों ने भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना की और कहा कि इस बात का हल निकालें-
फिर भगवान जगन्नाथ जी ने हनुमान जी से यह पूछा कि उनकी उपस्थिति में समुद्र का जल शहर में कैसे प्रवेश कर गया। हनुमान जी ने बताया कि वह उस समय वहां मौजूद नहीं थे और उन्हें बिना बताए ही अयोध्या चले गए थे। हनुमान जी की अयोध्या की यात्रा के बारे में सुनकर भगवान जगन्नाथ जी ने उनके हाथ और पैर बेड़ी से बंधवा दिए और उन्हें दिन-रात समुद्र तट पर सतर्क रहने और जगन्नाथ पुरी की रक्षा करने को कहा। चूंकि, उनके हाथ और पैर बंधे थे, इसलिए उन्हें बेड़ी हनुमान या जंजीर वाले हनुमान के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर की सुंदर वास्तुकला
पूर्व दिशा की ओर मुख वाले इस मंदिर की वास्तुकला बेहद अनोखी है। मंदिर में दो भुजाओं वाले हनुमान हैं, जिनके बाएं हाथ में लड्डू और दाहिने हाथ में गदा है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर विभिन्न देवताओं की मूॢतयां देखी जा सकती हैं। दक्षिणी दीवार पर भगवान गणेश की एक छवि है तो इसकी पश्चिमी दीवार पर अंजना देवी (हनुमान जी की मां) की एक छवि है, जिनकी गोद में एक बच्चा है और उत्तरी दीवार पर, अन्य विभिन्न देवी-देवताओं की छवियां बनी हैं।