Edited By Sarita Thapa,Updated: 17 Feb, 2025 10:12 AM
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Belpatra Todne Ke Niyam: भगवान शिव को अगर कोई चीज़ सबसे ज्यादा पसंद है, तो वो बेलपत्र है। बेलपत्र शिव जी को अर्पित करने से बहुत से लाभ होते हैं। खासतौर पर सोमवार हो तो भगवान शंकर को बेलपत्र चढ़ाना बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Belpatra Todne Ke Niyam: भगवान शिव को अगर कोई चीज़ सबसे ज्यादा पसंद है, तो वो बेलपत्र है। बेलपत्र शिव जी को अर्पित करने से बहुत से लाभ होते हैं। खासतौर पर सोमवार हो तो भगवान शंकर को बेलपत्र चढ़ाना बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है। बेलपत्र को लेकर एक मान्यता है कि इसे सोमवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, सोमवार के अलावा कुछ और भी तिथियां हैं। जिस दिन बेलपत्र तोड़ना वर्जित माना जाता है। तो आइए जानते हैं कि किस दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए और भगवान शंकर को बेलपत्र अर्पित करते समय कैसी सावधानियां बरतनी चाहिए।
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शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन बेलपत्र चढ़ाना हो, साधक को उससे एक दिन पूर्व ही तोड़ लेना चाहिए। सोमवार के दिन ज्यादात्तर लोग शिवालय जाते हैं और बेलपत्र शिव जी अर्पित करते हैं। ऐसे में सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़ना निषिद्ध माना गया है। इसके अलावा धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति के दिन बेलपत्र तोड़ना वर्जित माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन बेलपत्र तोड़ने से घोर पाप लग सकता है।
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बेलपत्र ऐसा पत्र हैं, जो हमेशा उपयोग हेतु है। इस पवित्र पत्र की खास बात ये है कि ये कभी बासी और कभी अशुद्ध नहीं होता। अगर आप इन्हें एक बार प्रयोग करने के पश्चात दूसरी बार धोकर प्रयोग में लाना चाहते हैं, तो ला सकते हैं। इसके अलावा महादेव को बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करना चाहिए, यानी पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर रहना चाहिए। इस बात का खास ध्यान रखें कि बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए। बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं, ये जितने अधिक पत्र के हों उतने ही उत्तम माने जाते हैं। 3 से कम दल वाला बेलपत्र पूजन के योग्य नहीं होता है।
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