Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Sep, 2021 11:00 AM
इंकलाब जिंदाबाद व साम्राज्यवाद मुर्दाबाद जैसे नारे देकर स्वतंत्रता में निर्णायक मोड़ ला देने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज 114वीं जयंती है। 28 सितम्बर, 1907 को अविभाजित
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Bhagat Singh Jayanti 2021: इंकलाब जिंदाबाद व साम्राज्यवाद मुर्दाबाद जैसे नारे देकर स्वतंत्रता में निर्णायक मोड़ ला देने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज 114वीं जयंती है। 28 सितम्बर, 1907 को अविभाजित भारत के लायलपुर बंगा में जन्मे भगत सिंह जिस परिवार में जन्मे, उसका माहौल ही कुछ ऐसा था कि उन्हें क्रांतिकारी बनना ही था। उनके अंदर बचपन में जो संस्कार आए, उसमें उनके पूरे परिवार का बड़ा योगदान है।
उनमें गदर पार्टी के क्रांतिकारी आंदोलन के प्रति गहरा आकर्षण था। शहीद करतार सिंह सराभा उनके आदर्श थे। जिनका फोटो वह हमेशा अपनी जेब में रखते थे। ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के नाम में ‘सोशलिस्ट’ शब्द उन्हीं के सुझाव पर जुड़ा था।
वह सिर्फ क्रांतिकारी ही नहीं, युगद्रष्टा, स्वप्नदर्शी, विचारक भी थे। वैज्ञानिक, ऐतिहासिक दृष्टिकोण से सामाजिक समस्याओं के विश्लेषण की उनमें अद्भुत क्षमता थी।
अपनी मां को लिखे एक खत में उन्होंने कहा था, ‘‘मां, मुझे इस बात में बिल्कुल शक नहीं, एक दिन मेरा देश आजाद होगा। मगर मुझे डर है कि ‘गोरे साहब’ की खाली की हुई कुर्सी में काले/भूरे साहब बैठने जा रहे हैं।’’
उनकी भविष्यवाणी अक्षरश: सच साबित हुई। देश आजाद जरूर हो गया, लेकिन सत्ताधारियों का किरदार और आम आदमी के प्रति उनका बर्ताव नहीं बदला।