Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Dec, 2024 07:50 AM
Geeta jayanti 2024: गीता जयंती वह दिन है जब भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्धभूमि पर अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया। यह पर्व मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है।
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Geeta jayanti 2024: गीता जयंती वह दिन है जब भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्धभूमि पर अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया। यह पर्व मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। गीता जयंती का आयोजन धार्मिक एवं आध्यात्मिक शांति के लिए किया जाता है। गीता एक प्राचीन हिंदू ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के गूढ़ रहस्यों, धर्म, कर्म और योग के बारे में उपदेश दिया। यह ग्रंथ आत्मज्ञान और मानसिक शांति का स्रोत है। घर में गीता रखना सकारात्मक ऊर्जा, शांति और जीवन में संतुलन लाता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, गीता को घर के उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है। यह दिशा ज्ञान, शिक्षा और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ी होती है और गीता जैसे धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथ को इस दिशा में रखने से घर में शांति, समृद्धि और मानसिक शांति आती है।
कुछ अन्य दिशा और स्थानों के बारे में विचार: उत्तर-पूर्व (ईशान): यह दिशा गीता को रखने के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है क्योंकि यह दिशा शुभ ऊर्जा और ज्ञान का स्रोत मानी जाती है।
पूर्व दिशा: गीता को पूर्व दिशा में भी रखा जा सकता है क्योंकि यह दिशा प्रात:काल की सूर्योदय से जुड़ी होती है, जो नए विचारों और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
सामान्य दिशा: यदि उत्तर-पूर्व में जगह न हो तो गीता को घर के साधारण स्थान पर रखें, जहां वह साफ और सुरक्षित रूप से रखी जा सके, ताकि किसी तरह की अशुद्धि या नकारात्मकता का प्रभाव न पड़े।
वास्तु के अनुसार, गीता को हमेशा साफ-सुथरे स्थान पर रखें और उसे अन्य सामान से अलग रखें ताकि उसकी पवित्रता बनी रहे।