Edited By Sarita Thapa,Updated: 22 Jan, 2025 01:33 PM
Bhagwan Mahaveer Story: भगवान महावीर एक गांव से गुजर रहे थे। उस गांव में एक युवक का मिट्टी के बर्तनों का बड़ा अच्छा व्यापार चल रहा था। वह अपने व्यापार के अच्छी तरह चलने का कारण अपना अच्छा भाग्य मानता था।
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Bhagwan Mahaveer Story: भगवान महावीर एक गांव से गुजर रहे थे। उस गांव में एक युवक का मिट्टी के बर्तनों का बड़ा अच्छा व्यापार चल रहा था। वह अपने व्यापार के अच्छी तरह चलने का कारण अपना अच्छा भाग्य मानता था। उसका मानना था कि जब किसी व्यक्ति के साथ अच्छा होता है तो उसका भाग्य अच्छा होता है और जिस व्यक्ति के साथ बुरा होता है तो उसकी तकदीर भी खोटी होती है।
भगवान महावीर ने उससे कहा, “भलेमानस, हर कार्य पुरुषार्थ से होता है। पहले पुरुषार्थ से व्यक्ति मेहनत करता है, तब उसका भाग्य चमकता है।” वह व्यक्ति महावीर की इस बात से किसी भी तरह सहमत नहीं था।
उसकी बात सुनकर भगवान महावीर बोले, “अच्छा बताओ, मिट्टी के ये बर्तन कौन बनाता है?” युवक बोला, “मैं बनाता हूं।”
महावीर बोले, “तुम मिट्टी के बर्तन ही क्यों बनाते हो?” युवक बोला, “क्योंकि यही मेरा पेशा है।” महावीर फिर बोले, “यदि कोई तुम्हारे इन बर्तनों को फोड़ दे तो?” व्यक्ति बोला, “तो मैं यह मान लूंगा कि इनके भाग्य में फूटना ही लिखा होगा।” इस पर महावीर मुस्कुराकर बोले, “यदि कोई तुमसे अकारण मारपीट करने लगे तो तुम क्या करोगे?”
यह सुनकर वह युवक गुस्से में बोला, “कोई मुझे अकारण क्यों मारेगा? यदि वह ऐसा करेगा तो मैं भी उसे मारूंगा।” युवक का जवाब सुनकर भगवान महावीर ने कहा, “अब तुम भाग्य के बीच में क्यों आ रहे हो? हो सकता है कि तुम्हारे भाग्य में अकारण पिटना लिखा होगा।”
यह सुनते ही कुम्हार की आंखें खुल गई और उसे भगवान महावीर की बात समझ में आ गई। अब वह समझ चुका था कि हम जैसा कर्म करते हैं हमारा भाग्य उसी के अनुसार फल देता है। फिर उसने भगवान महावीर से क्षमा मांगी।”