Bhagwati Charan Vohra Death Anniversary: बम बनाने में माहिर भगत सिंह के साथी भगवती चरण वोहरा को शत-शत नमन

Edited By Prachi Sharma,Updated: 28 May, 2024 08:28 AM

bhagwati charan vohra death anniversary

भगत सिंह के महत्वपूर्ण साथी भगवती चरण वोहरा का जन्म 15 नवम्बर, (कई स्थानों पर 4 नवम्बर) 1903 को पंजाब के लाहौर (अब पाकिस्तान में) के आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवार में हुआ, जो गुजरात

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Bhagwati Charan Vohra Death Anniversary: भगत सिंह के महत्वपूर्ण साथी भगवती चरण वोहरा का जन्म 15 नवम्बर, (कई स्थानों पर 4 नवम्बर) 1903 को पंजाब के लाहौर (अब पाकिस्तान में) के आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवार में हुआ, जो गुजरात से लाहौर आकर बस गया था। 

1918 में 14 साल की आयु में माता-पिता ने इनकी शादी 11 वर्षीय दुर्गावती से करवा दी, जिसने शादी के बाद ‘प्रभाकर’ तक की पढ़ाई की और इनके साथ क्रांति मार्ग पर कंधे से कंधा मिलाकर चलीं। इनके एक बेटा हुआ, जिसका नाम क्रांतिकारी शचिनद्रनाथ सान्याल के नाम पर शचिंद्र रखा। 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग हत्याकांड का युवा भगवती चरण पर गहरा प्रभाव हुआ। 

PunjabKesari Bhagwati Charan Vohra Death Anniversary

लाहौर के नैशनल कॉलेज से बी.ए. के दौरान इनकी मुलाकात क्रांतिकारी भगत सिंह और अन्य कई सहयोगियों से हुई। क्रांतिकारी विचारों का प्रसार करने के लिए 1923 में भगत सिंह की पहल पर नौजवान भारत सभा का गठन हुआ। भगवती चरण इस संगठन के प्रचार सचिव नियुक्त हुए। 

काकोरी कांड के बाद 1928 में दिल्ली में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का फिर से गठन हुआ। इसके प्रचार का जिम्मा भी भगवती चरण को ही सौंपा गया।  इसका मैनीफैस्टो बनाने में भगवती ने चंद्रशेखर आजाद की पूरी मदद की और कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में इसे खूब बांटा गया। भगवती ने जल्द ही बम बनाने में महारत हासिल कर ली, जिसका लाभ सभी क्रांतिकारियों को हुआ।

साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाला लाजपतराय पुलिस की बेरहमी से पिटाई के चलते शहीद हुए। भारत नौजवान सभा ने उनकी हत्या का बदला सान्डर्स को गोली मार कर लिया। इसी के शक में भगत सिंह समेत तमाम कार्यकत्र्ताओं को गिरफ्तार करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई और कई कार्यकत्र्ता भूमिगत हो गए। 

PunjabKesari Bhagwati Charan Vohra Death Anniversary

भगत सिंह की गिरफ्तारी के लिए लाहौर में पहरा सख्त कर दिया गया। पुलिस से बचा कर भगत सिंह को लाहौर से निकालने के लिए भगवती चरण की पत्नी दुर्गावती ने एक अनूठा कदम उठाया। उन्होंने मेम साहब के रूप में भगत सिंह की पत्नी बन कर अपने 3 साल के बेटे शचिंद्र को गोद में लेकर कलकत्ता तक का सफर किया।  

8 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने काले कानूनों का विरोध करते हुए संसद में कम क्षमता वाले बम और पर्चे फैंक कर खुद को पुलिस के हवाले कर दिया।
  
कुछ दिन बाद सुखदेव और राजगुरु को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इन सभी को जेल से बाहर लाने के लिए भगवती चरण, चंद्रशेखर आजाद, यशपाल, दुर्गावती ने मिलकर योजना बनाई कि जब भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त और अन्य को लाहौर जेल से एक साथ अदालत ले जाया जाए तो जेल के दरवाजे पर अचानक हमला कर उन्हें रिहा करवाया जाए। 

इस कार्य के लिए शक्तिशाली बमों की आवश्यकता थी। भगवती चरण बम बनाने की कला जानते थे। बम बनाने के लिए गोले और रसायनों को इकट्ठा किया गया और अगले कुछ दिनों में बम बना दिए गए लेकिन उपयोग करने से पहले इनका परीक्षण करने की आवश्यकता थी, इसलिए भगवती चरण, बच्चन और सुखदेवराज बम लेकर रावी नदी के तट पर गए। 

बम को चैक करते समय उसमें जबरदस्त विस्फोट हो गया, जिससे महज 26 साल की उम्र में 28 मई 1930 को भगवती चरण शहीद हो गए। उनकी मृत्यु पर चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि उनका दाहिना हाथ कट गया है। वहीं भगत सिंह ने कहा, ‘‘हमारा तुच्छ बलिदान उस जंजीर की कड़ी है जिसका सौन्दर्य कॉमरेड भगवती चरण वोहरा के दुखद लेकिन गौरवपूर्ण बलिदान से निखरा हुआ है।’’ 

PunjabKesari Bhagwati Charan Vohra Death Anniversary
 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!