Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Nov, 2020 07:31 AM
भाई दूज का पर्व आज बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। ये पावन त्यौहार भाई-बहन के परस्पर प्रेम एवं स्नेह का प्रतीक है। भैया दूज के संबंध में एक कथा प्रचलित है। जिसे भाई-बहन को मिलकर पढ़ना चाहिए।
Bhai Dooj 2020: भाई दूज का पर्व आज बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। ये पावन त्यौहार भाई-बहन के परस्पर प्रेम एवं स्नेह का प्रतीक है। भैया दूज के संबंध में एक कथा प्रचलित है। जिसे भाई-बहन को मिलकर पढ़ना चाहिए। जिससे उनमें प्रेम का रिश्ता मजबूत हो।
Bhai Dooj katha: सूर्य भगवान की पत्नी संज्ञा देवी की दो संतानें हुईं-पुत्र यमराज एवं पुत्री यमुना। एक बार संज्ञा देवी अपने पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को सहन न कर सकी तथा उत्तरी ध्रुव प्रदेश में छाया बनकर रहने चली गई। उसी छाया में ताप्ती नदी एवं शनि देव का जन्म हुआ। छाया का व्यवहार यम एवं यमुना से विमाता जैसा था।
Bhai Dooj fiction: इससे खिन्न होकर यम ने अपनी अलग यमपुरी बसाई। यमुना अपने भाई को यमपुरी में पापियों को दंडित करने का कार्य करते देख गोलोक चली आई। यम एवं यमुना काफी समय तक अलग-अलग रहे। यमुना ने कई बार अपने भाई यम को अपने घर आने का निमंत्रण दिया परन्तु यम यमुना के घर न आ सका। काफी समय बीत जाने पर यम ने अपनी बहन यमुना से मिलने का मन बनाया तथा अपने दूतों को आदेश दिया कि पता लगाएं कि यमुना कहां रह रही हैं।
Bhai Duj: यम ने अपनी बहन यमी (यमुना) को भाई दूज के दिन दर्शन दिया था जो काफी समय से उनसे मिलने को आतुर एवं व्याकुल थीं। इस खुशी के अवसर पर भाई के आगमन पर यमुना ने प्रसन्न मन से उनकी आवभगत की।
Bhai dooj: यमी ने भाई यम से वचन लिया था कि जिस प्रकार आज के दिन उनका प्यारा भाई यम उनके घर आया है उसी प्रकार दुनिया का हर भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाए। तभी से ‘भाई दूज’ की प्रथा चली आ रही है।
Yamadvitiya: यम ने यमुना द्वारा किए सत्कार से प्रभावित होकर यमुना को वर मांगने को कहा। उसने अपने भाई से कहा कि यदि वह वर देना चाहते हैं तो मुझे यह वरदान दीजिए कि जो लोग आज के दिन यमुना नगरी में विश्राम घाट पर यमुना में स्नान तथा अपनी बहन के घर भोजन करें वे तुम्हारे लोक को न जाएं। यम ने यमुना के मुंह से ये शब्द सुन कर ‘तथास्तु’ कहा। तभी से भैया दूज का त्यौहार मनाया जाने लगा।
Bhau beej: इस अवसर पर बहनें अपने भाई के आसन पर चावल के घोल से चौक बनाती हैं। इस चौक पर भाई को बैठाकर उसके हाथों की पूजा करती हैं। पूजा में सबसे पहले भाई की हथेली पर चावलों का घोल लगाती हैं। उसके ऊपर सिंदूर लगाकर फूल, पान, सुपारी, मुद्रा आदि रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ते हुए कुछ मंत्र बोलती हैं-गंगा पूजा यमुना को यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे, मेरे भाई आप बढ़ें।
Bhaiyya Dooj: ऐसे शब्द बोलकर उसके हाथों में कलावा बांधती है। भाई का मुंह मीठा करवाती हैं, तिलक लगाती हैं। यमराज के नाम का एक चौमुखा दीपक जलाकर घर की दहलीज के बाहर रखती हैं।