Bhakti ki shakti: कड़ी तपस्या जितना पुण्य फल देता है ये छोटा सा काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Oct, 2022 09:38 AM

bhakti ki shakti

तुलसीदास, रामदास, कबीर, मीराबाई, सूरदास, गौरांग प्रभु, गुजरात में नरसिंह महेता आदि अनेक महात्माओं को जप और अनन्य भक्ति द्वारा ही भगवत दर्शन हुए थे। जैसे इनको सफलता मिली, वैसे ही हे मित्रो

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Power of mantra: तुलसीदास, रामदास, कबीर, मीराबाई, सूरदास, गौरांग प्रभु, गुजरात में नरसिंह महेता आदि अनेक महात्माओं को जप और अनन्य भक्ति द्वारा ही भगवत दर्शन हुए थे। जैसे इनको सफलता मिली, वैसे ही हे मित्रो आपको मिल सकती है, जो गाना जानते हों वे लय के साथ मंत्र का गान करें। मन इससे शीघ्र ही उन्नत पहुंच जाएगा। जैसे रामप्रसाद बंगाली ने एकांत में बैठकर भगवान के नाम का गान किया था, वैसे ही बैठकर आप भी गाएं, गाते-गाते भाव समाधि आ जाएगी। जस्टिस उडरफ ने मंत्र शास्त्र पर वर्णमाला नामक एक बड़ी सुंदर पुस्तक लिखी है, इसे पढ़कर आपको मंत्रों की शक्ति का ज्ञान होगा।

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पंढरपुर के देहू के रहने वाले संत तुकाराम को केवल विट्ठल-विट्ठल नाम जपते-जपते भगवान श्रीकृष्ण के कई बार दर्शन हुए। छोटे से बालक ध्रुव ने भक्तिपूर्वक द्वादशाक्षर मंत्र किया और उसे साक्षात नारायण के दर्शन हुए। नारायण का नाम जपने से प्रह्लाद को भगवान के दर्शन हुए। छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ रामदास ने ‘श्रीराम, जय राम, जय जय राम’ मंत्र को गोदावरी के तट पर ताकली ग्राम में 13 करोड़ बार जपा था, वह सिद्ध महात्मा हो गए। इस कलिकाल में भगवत प्राप्ति तो बहुत अल्पकाल में हो सकती है। यह भगवान की कृपा का फल है जो आपको कड़ी तपस्या नहीं करनी पड़ती। प्राचीन समय की तरह इस युग में 10,000 वर्षों तक एक पैर पर खड़े रहने की आवश्यकता भी नहीं है।

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थियोसोफी धर्मानुसार तो वर्तमान मूल (हिंदू) जाति का मन बहुत विकसित है। किसी मंत्र के जप में मन को शुद्ध करने की बड़ी शक्ति है। जप करने से मन अंतर्मुख हो जाता है और वासनाएं क्षीण हो जाती हैं। वासना इच्छा का वह मूल बीज है जो इच्छा का संचालन करता है। इसको गुप्त प्रवृत्ति भी कहते हैं। मंत्र का जप संकल्पों के वेग को कम कर देता है। जप मन को स्थिर करता है, ‘मन तनु मनांसि’ अर्थात सूत की तरह हो जाता है जिसके फलस्वरूप शांति, पवित्रता और शक्ति आती है।

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