Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Mar, 2023 07:43 AM
हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। चैत्र महीने में पड़ने के कारण इसे भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। चंद्र दर्शन के बाद ही संकष्टी व्रत का समापन होता है। आज के दिन गणेश जी की षोडशोपचार विधि से पूजा करने का...
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Chaitra Sankashti Chaturthi 2023: हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। चैत्र महीने में पड़ने के कारण इसे भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। चंद्र दर्शन के बाद ही संकष्टी व्रत का समापन होता है। आज के दिन गणेश जी की षोडशोपचार विधि से पूजा करने का विधान है। आज सच्चे मन से पूजा करने से गौरी पुत्र गणेश जल्द ही सारे दुःख हर लेते हैं और व्यक्ति को धन, वैभव और ऐश्वर्या का आशीर्वाद देते हैं।
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Bhalachandra Sankashti Chaturthi date and moonrise भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी तिथि एवं चंद्रोदय:
संकष्टी चतुर्थी प्रारंभः 09.42 पी.एम (मार्च 10, 2023)
संकष्टी चतुर्थी समाप्तः 10.05 पी.एम (मार्च 11, 2023)
चन्द्रोदयः 22.03 पी.एम
Chaitra Bhalachandra Sankashti Chaturthi Puja Method चैत्र भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि: व्रत करने का संकल्प लें और श्री गणेश के नाम से अपने दिन की शुरुआत करें। शाम को पूजा करते समय जहां पर आप पूजा करेंगे, उसके पास चौकी स्थापित करके लाल वस्त्र बिछाएं। इसी के ऊपर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। गंगा जल का छिड़काव करने के बाद घी के दीपक जलाकर उनके सामने रख दें और विघ्नहर्ता के इस आह्वान मंत्र का जाप करें-
Mantra: गजाननं भूतगणादि सेवितम् कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणम् उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव
कम से कम 11 माला इस मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से जीवन बहुत ही सुखमय हो जाएगा। उसके बाद गणेश जी को दूर्वा, पान, सुपारी, सिंदूर, रोली, अक्षत और इत्र अर्पित करें। प्रसाद के रूप में उनके प्रिय मोदक चढ़ाएं।
रात के समय चंद्रोदय होने पर चांदी या मिट्टी के पात्र को साफ जल से भर लें, उसमें दूध, अक्षत और सफेद फूल मिलाएं। दीप जलाकर चांद को अर्घ्य दें और इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र- गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥