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Bhalka Tirth Mandir: इसी मंदिर से भगवान श्रीकृष्ण धरती से लौटे थे बैकुंठ, कलयुग की शुरूआत से है गहरा नाता

Edited By Sarita Thapa,Updated: 16 Feb, 2025 01:13 PM

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Bhalka Tirth Mandir: सतयुग, द्वापरयुग और त्रेतायुग ये बाद अब कलयुग चौथा युग है। क्या कारण था जिस वजह से कलियुग को धरती पर आना पड़ा? किस तरह और किस समय कलियुग की शुरुआत हुई? हम अक्सर कलियुग के खत्म होने की बात करते हैं लेकिन कभी किसी ने कलयुग की...

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Bhalka Tirth Mandir: सतयुग, द्वापरयुग और त्रेतायुग ये बाद अब कलयुग चौथा युग है। क्या कारण था जिस वजह से कलियुग को धरती पर आना पड़ा? किस तरह और किस समय कलियुग की शुरुआत हुई? हम अक्सर कलियुग के खत्म होने की बात करते हैं लेकिन कभी किसी ने कलयुग की शुरूआत के बारें में सोचा है। कलियुग की शुरुआत की जानकारी वैसे तो अनेक धार्मिक ग्रंथों और पुस्तकों में मिलती है लेकिन इसका सबसे बड़ा आकर्षण केंद्र वो स्थान है, जहां कलयुग की शुरुआत का कर्म हुआ। सभी भी इस बात को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि आखिर कलयुग की शुरूआत कैसे, कब और कहां से हुई। तो आइए जानते हैं कि किस तरह कलियुग की शुरुआत हुई।

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मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग कान्हा का युग था। आज से करीब 5 हजार साल पहले एक शिकारी ने शिकार करते समय गलती से श्रीकृष्ण के पैर में तीर मार दिया था, है तो वो कान्हा की ही लीला क्योंकि उनके बैकुंठ लौटने का समय हो गया था। इस तीर के लगने से कान्हा बैकुंठ के लिए प्रयान कर गए। भालका वो स्थान है, जहां ये घटना घटी थी। भालका तीर्थ भगवान श्री कृष्ण के अंतिम सांस का साक्षी माना जाता है, लेकिन भक्तों का मानना है की इस पवित्र स्थान में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है क्योंकि यहां श्री कृष्ण के होने का अहसास हमेशा होता है, इसका साक्षी यहां मौजूद 5 हजार साल पुराना पीपल का पेड़ है, जो कभी नहीं सूखता है। कलयुग की शुरूआत और कृष्ण जी के प्रस्थान की सारी घटना का विवरण भालका तीर्थ में लिखित रूप से देखा जा सकता है। श्रीकृष्ण के पृथ्वी लोक से विदा लेते ही कलयुग का प्रथम चरण शुरू हो गया था। विद्वानों का मानना है कि ये कलयुग का प्रथम चरण है। सूर्य सिद्धांत के अनुसार, कलियुग 18 फरवरी 3102 ईसा पूर्व की मध्य रात्रि यानी 12 बजे से शुरू हुआ था। धर्म ग्रंथों में यही वो तिथि मानी जाती है, जब श्रीकृष्ण बैकुंठ लोक लौट गए थे।

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वैदिक शास्त्रों के अधिकांश व्याख्याकार, जैसे भक्तिसिद्धांत सरस्वती गोस्वामी और उनके शिष्य भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद का मानना है कि पृथ्वी वर्तमान में कलियुग में है और ये एक काल में 432,000 वर्षों तक रहती है। कलियुग को कुछ लेखकों द्वारा 6480 वर्षों तक माना जाता है, हालांकि इस बारे में कई और अलग मत भी हैं। 

वहीं हिंदू धर्म की मान्यता है कि कलियुग के दौरान मानव सभ्यता आध्यात्मिक रूप से पतित हो जाती है। इसे डार्क ऐज कहते हैं, क्योंकि इस काल में मानव ईश्वर भक्ति से दूर हो जाते है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कलियुग के अंत में नैतिकता का पूरी तरह ह्रास हो चुका होगा। कुछ ही लोगों में इस मानवीय मूल्य की समझ शेष रह जाएगी। लोग हरि नाम से दूर भागेंगे, अधर्म बढ़ेगा, बाप और बेटी के रिश्ते नहीं रहेंगे। 

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