Edited By Prachi Sharma,Updated: 18 Nov, 2023 07:17 AM
पंचांग के अनुसार हर महीने शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन भानु सप्तमी का पर्व मनाने का विधान है। प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष पर रविवार को पड़ने वाली सप्तमी को
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Bhanu Saptami 2023: पंचांग के अनुसार हर महीने शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन भानु सप्तमी का पर्व मनाने का विधान है। प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष पर रविवार को पड़ने वाली सप्तमी को भानु सप्तमी मनाई जाती है। इसे रथ सप्तमी और अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा करने से सुखी जीवन और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि भानु सप्तमी पर किया गया पूजन अत्यंत फलदाई होता है। इसके अलावा सूर्य देव की पूजा करने से करियर और कारोबार में भी मनचाही सफलता प्रदान होती है। अगर आप भी सूर्य देव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो भानु सप्तमी पर विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
Bhanu Saptami 2023 date भानु सप्तमी 2023 डेट
पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 19 नवंबर 2023 को है। इस दिन भानु सप्तमी का व्रत रखा जाएगा। कहते हैं कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से मानसिक, शारीरिक, आर्थिक संकट से छुटकारा मिलता है।
Bhanu Saptami 2023 auspicious time भानु सप्तमी 2023 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 19 नवंबर को सुबह 7 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 20 नवंबर को सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर इसका समापन होगा। इसी के साथ बता दें कि भानु सप्तमी के दिन ही लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जाएगा। बिहार और उत्तर प्रदेश में इस पर्व की बहुत धूम देखने को मिलती है।
Bhanu Saptami importance भानु सप्तमी महत्व
भानु सप्तमी के शुभ संयोग में सूर्य देव को अर्घ्य देने और उनकी पूजा करने से जीवन में चल रहे संकट कम होते हैं। वंश वृद्धि के लिए भी सूर्य की उपासना बहुत लाभकारी मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य देव को जल में लाल चंदन डालकर अर्घ्य देने से गंभीर रोग भी समाप्त हो जाते हैं।
Bhanu Saptami puja method भानु सप्तमी पूजा विधि
भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की आराधना करने के लिए प्रात: काल में उठें। घर की अच्छे से साफ-सफाई करें। उसके बाद घर के कामों को निपटाकर पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। अगर हो सके तो पवित्र नदी में स्नान करें। स्नान के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद, सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें और उनके मंत्र का जाप करें।
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते ।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।
ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
अंत में भगवान सूर्य को पृथ्वी पर झुक कर प्रणाम करें और अर्घ्य को अपने मस्तक पर लगाएं। इसके बाद भगवान से शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करें। इस प्रकार जल चढ़ाने के बाद धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें। सूर्य देव की कृपा पाने के लिए पूजा के अंत में आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करें।