Bhaum Pradosh Vrat: आपके जीवन में चल रही हर परेशानी भौम प्रदोष के दिन होगी दूर, बस रखना होगा इन बातों का ध्यान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Feb, 2025 06:56 AM

bhaum pradosh vrat

Bhaum Pradosh Vrat 2025: मंगल प्रदोष का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन भगवान शिव के साथ-साथ मंगल देव की पूजा का भी दिन होता है। मंगल ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति की शारीरिक शक्ति, साहस और संघर्ष की भावना में वृद्धि होती है। यह दिन विशेष रूप से व्यापारिक...

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Bhaum Pradosh Vrat 2025: मंगल प्रदोष का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन भगवान शिव के साथ-साथ मंगल देव की पूजा का भी दिन होता है। मंगल ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति की शारीरिक शक्ति, साहस और संघर्ष की भावना में वृद्धि होती है। यह दिन विशेष रूप से व्यापारिक सफलता, शत्रुओं से सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है। मंगल प्रदोष का संबंध मंगल से है, जो ग्रहों में युद्ध, साहस और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है, जिनका जन्म मंगल दोष (मंगल की खराब स्थिति) से प्रभावित है। इस दिन पूजा करने से मंगल की स्थिति ठीक होती है और व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक बल प्राप्त होता है।

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Do these remedies on Mangal Pradosh मंगल प्रदोष के दिन करें ये उपाय: मंगल प्रदोष पर शिव जी की पूजा से सभी कष्टों का निवारण और समस्याओं का समाधान होता है। यह दिन विशेष रूप से व्यापार में सफलता, सेना या सरकारी कामकाजी लोगों के लिए अच्छा होता है क्योंकि यह दिन मंगल ग्रह के साथ जुड़ा होता है जो निर्णय लेने की क्षमता और साहस बढ़ाता है।

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Do not do these things on Bhauma Pradosh fast भौम प्रदोष व्रत पर न करें ये काम
तुलसी के पत्ते का प्रयोग शिव पूजा में न करें।
नीले रंग के कपड़े न पहनें।
तामसिक भोज्य पदार्थ और शराब जैसे मादक पदार्थों का सेवन न करें।
किसी का अपमान न करें, झूठ न बोलें और न ही अपशब्दों का प्रयोग करें, जिससे दूसरों का दिल दुखे।
व्रतधारी बाल और नाखून न काटें।

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Do this work on Bhauma Pradosh fast भौम प्रदोष व्रत पर करें ये काम
शिवलिंग पर कच्चा दूध, गंगा जल, देसी घी, दही और शक्कर अर्पित करें। सफेद रंग के पुष्प की माला चढ़ाएं। फिर वहीं आसन बिछा कर बैठ जाएं और रुद्राक्ष की माला पर महामृत्युंजय मंत्र अथवा ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार जाप करके शिव चालीसा अथवा शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करें। शिव जी के 108 नामों का जप करें।
गंगा जल से स्नान के बाद साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
फलाहारी व्रत का पालन करें।
गोवंशों को चारा जरूर खिलाएं।

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