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Bhishma Ashtami: भीष्म अष्टमी पर शुभ योगों में करें एकोदिष्ट श्राद्ध, ये है शुभ मुहूर्त

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Feb, 2025 02:16 PM

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Bhishma Ashtami 2025: भीष्म पितामह ने अपनी जीवनभर की तपस्या, कर्तव्य निष्ठा और नैतिकता के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की थी। महाभारत के युद्ध के दौरान, उन्होंने 18 दिन तक युद्ध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप में भाग लिया था, जबकि वह शारीरिक रूप से...

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Bhishma Ashtami 2025: भीष्म पितामह ने अपनी जीवनभर की तपस्या, कर्तव्य निष्ठा और नैतिकता के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की थी। महाभारत के युद्ध के दौरान, उन्होंने 18 दिन तक युद्ध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप में भाग लिया था, जबकि वह शारीरिक रूप से अत्यधिक कमजोर थे और उनका शरीर बाणों से भरा हुआ था। भीष्म पितामह को अपने पिता से वरदान मिला था कि वे जब तक अपनी इच्छा से न मरे, तब तक मृत्यु नहीं आएगी। उन्होंने श्री कृष्ण के कहने पर युद्ध से हटने के बजाय युद्ध में अपने कर्तव्यों का पालन किया और युद्ध के अंत में अपने इच्छाशक्ति से मृत्यु को प्राप्त किया।

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Bhishma Ashtami Shubh Muhurat भीष्म अष्टमी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का शुभांरभ 05 फरवरी की आधी रात 02 बजकर 30 मिनट पर होगा और समापन 06 फरवरी की लेट नाईट रात 12 बजकर 35 मिनट पर होगा। उदया तिथि की गणना के अनुसार 05 फरवरी को भीष्म अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। एकोदिष्ट श्राद्ध का समय सुबह 11 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।

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भीष्म अष्टमी शुभ योग (Bhishma Ashtami Shubh Yoga)
भीष्म अष्टमी पर शुक्ल और ब्रह्म योग का संयोग है। इस मंगलमय तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और भद्रावास का संयोग भी बनेगा। इन विशेष योगों में पितरों का तर्पण एवं एकोदिष्ट श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी और उनकी कृपा भी आपके घर-परिवार पर बनी रहेगी।

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