Bhishma Panchak 2024: आज से शुरू हैं भीष्म पंचक व्रत, आने वाले 5 दिन न करें ये काम

Edited By Prachi Sharma,Updated: 11 Nov, 2024 04:00 AM

bhishma panchak 2024

भीष्म पंचक व्रत का महत्व हिंदू धर्म में विशेष रूप से उत्थान और शुद्धि के लिए माना जाता है। यह व्रत खासतौर पर महाभारत के भीष्म पितामह की याद में मनाया जाता है जो 5 दिन की अवधि में किया जाता है।

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Bhishma Panchak 2024: भीष्म पंचक व्रत का महत्व हिंदू धर्म में विशेष रूप से उत्थान और शुद्धि के लिए माना जाता है। यह व्रत खासतौर पर महाभारत के भीष्म पितामह की याद में मनाया जाता है जो 5 दिन की अवधि में किया जाता है। यह व्रत कार्तिक माह के अंतिम पांच दिनों में रखा जाता है और यह पांच दिन तक चलता है। पंचांग के अनुसार इस बार ये व्रत 11 नवंबर यानी आज से शुरू हो जाएंगे। इस व्रत का नाम महाभारत के महान पात्र भीष्म पितामह के नाम पर रखा गया है। जिन्होंने अपने जीवन के अंत में शारीरिक कष्टों के बावजूद सत्य, धर्म और कर्तव्य का पालन किया था। भीष्म पंचक व्रत का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं बल्कि मानव जीवन के उच्चतम आदर्शों की प्राप्ति के संदर्भ में भी बहुत बड़ा है। पद्म पुराण के मुताबिक इस व्रत को करने से सीधा श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इन पांच दिनों के दौरान विशेष नियम और आचार-व्यवहार का पालन करना बहुत आवश्यक होता है। भीष्म पंचक व्रत को लेकर कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, ताकि व्रत का सही रूप से पालन किया जा सके। तो चलिए जानते ही इस दौरान कौन से नियमों का पालन करना चाहिए।

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Do not do these things during Bheeshma Panchak भीष्म पंचक के दौरान न करें ये कार्य

अहंकार और क्रोध से बचें

इन पांच दिनों में किसी भी प्रकार के अहंकार, क्रोध, या द्वेष भावना से बचना चाहिए। भीष्म पंचक का मुख्य उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति है। यदि हम इन पांच दिनों में अपने भीतर से नकारात्मक भावनाओं को निकाल देते हैं तो यह हमारे जीवन में शांति और सुख की ओर मार्गदर्शन करता है। क्रोध और अहंकार से बचने के लिए ध्यान, साधना और सकारात्मक सोच की ओर ध्यान दें।

रात में भोजन न करें
भीष्म पंचक के दौरान रात में भोजन करना मना है। शास्त्रों में यह बताया गया है कि इस समय रात में भोजन करने से शरीर और आत्मा दोनों की शुद्धि में विघ्न आता है। भीष्म पितामह ने भी अपने जीवन के अंतिम समय में दिन के उजाले में ही भोजन किया था। इस नियम का पालन करके व्यक्ति अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सही रख सकता है।

बुरी आदतों को छोड़ें
इस अवधि के दौरान तंबाकू, शराब, मांसाहार या अन्य बुरी आदतों को छोड़ देना चाहिए। इन पांच दिनों में जो व्यक्ति विशेष रूप से व्रत का पालन करता है।  मांसाहार और नशीली चीजों का सेवन शारीरिक और मानसिक शुद्धता के विपरीत माना जाता है। इसलिए इन पांच दिनों में इनसे दूर रहना चाहिए।

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निंदनीय कार्यों से बचें
भीष्म पंचक के समय किसी भी प्रकार के निंदनीय या पापकारी कार्यों से बचना चाहिए। यह पांच दिन व्यक्ति को अपने कर्मों और विचारों को शुद्ध करने का एक अवसर प्रदान करते हैं। किसी का अपमान करना, दूसरों की निंदा करना, गलत कार्य करना या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना इन दिनों में पूरी तरह से वर्जित माना जाता है। यदि इस समय कोई गलत कार्य करता है तो भविष्य में इससे जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

विवाह और मांगलिक कार्यों से बचें
भीष्म पंचक के दौरान किसी भी प्रकार के विवाह या मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता। यह समय व्रत, तपस्या, और आत्मा की शुद्धि के लिए होता है न कि सामाजिक उत्सवों के लिए। इसी कारण से विवाह, घर बनाने, या अन्य मांगलिक कार्यों को इस समय के दौरान टालना चाहिए।

स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध करें
भीष्म पंचक का पालन करते समय ध्यान और प्रार्थना पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस समय व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध करने का प्रयास करना चाहिए। इससे न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। इस दौरान संयमित आहार और नियमित दिनचर्या का पालन करना जरूरी है।

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साधना और भक्ति में वृद्धि करें
भीष्म पंचक का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और भगवान की भक्ति में वृद्धि करना होता है। इस पांच दिनों में अधिक से अधिक साधना और भक्ति की जानी चाहिए। श्री विष्णु या शिव की पूजा, मंत्र जप, भजन-कीर्तन और ध्यान इस समय के दौरान विशेष रूप से लाभकारी होते हैं। यह समय भगवान से जुड़ने का और अपनी आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ने का होता है।

परिवार में शांति बनाए रखें
भीष्म पंचक के दौरान परिवार में किसी भी प्रकार के झगड़े या विवाद से बचने की कोशिश करें। यह समय शांति और समृद्धि के लिए होता है और किसी भी प्रकार का तनाव या विवाद परिवार में अव्यवस्था उत्पन्न कर सकता है।

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