Edited By Sarita Thapa,Updated: 25 Jan, 2025 01:13 PM
शास्त्रों के अनुसार, भीष्म पितामह को अपने पिता शांतनु द्वारा इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। अर्थात वह केवल अपनी इच्छा के अनुसार ही प्राणों का त्याग कर सकते थे।
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Bhishma Pitamah temple in Prayagraj: शास्त्रों के अनुसार, भीष्म पितामह को अपने पिता शांतनु द्वारा इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। अर्थात वह केवल अपनी इच्छा के अनुसार ही प्राणों का त्याग कर सकते थे। जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ, तो भीष्म पांडवों के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए थे। क्योंकि उन्हें हराए बिना युद्ध जीतना असंभव था। ऐसे में अर्जुन ने भीष्म पितामह पर अपने बाणों की बरसात कर दी थी, जिससे पितामह बुरी तरह घायल हो गए थे। और वो अत्यंत कष्ट में थे। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने तुरंत अपने प्राण नहीं त्यागे।
क्योंकि भीष्म पितामह अपने प्राण तब त्यागना चाहते थे, जब सूर्य उत्तरायण में हो। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि जो भी व्यक्ति के इस समय में मृत्यु को प्राप्त होता है, उसकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जब अर्जुन ने अपने बाणों से भीष्म पितामह को घायल किया तब सूर्य दक्षिणायन में था। ऐसे में सूर्य के उत्तरायण होने के लिए भीष्म पितामह ने 58 दिनों तक लंबा इंतजार किया।
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इसके अलावा बाण शैय्या पर लेटे हुए ही भीष्म पितामह ने पांडवों को धर्म और नीति का ज्ञान भी दिया, ताकि यह उन्हें काम आ सके और वह अपनी जिम्मेदारियों का सही ढंग से निर्वहन करें।
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