Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 May, 2024 09:43 AM
भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी है, जिसे झीलों की नगरी भी कहा जाता है। इस शहर का बड़ा तालाब और छोटा तलाब बेहद लोकप्रिय हैं।
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Beautiful lake in Bhopal: भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी है, जिसे झीलों की नगरी भी कहा जाता है। इस शहर का बड़ा तालाब और छोटा तलाब बेहद लोकप्रिय हैं। भोपाल कई पहाड़ियों पर बसा है जिनमें से कुछ हैं - श्यामला हिल्स, अरेरा हिल्स, कटारा हिल्स, दानिश हिल्स, वन टी हिल्स, ईदगाह हिल्स आदि ! भोपाल को राजा भोज ने बसाया था, इसका पुराना नाम- भूपाल या भोजपाल था ! शहर में कई झीलें हैं जिस वजह से यह झीलों के शहर के नाम से प्रसिद्ध है। वैसे यहां कई अन्य पर्यटक स्थल भी हैं।
भोपाल की प्रमुख झीलें
ऊपरी झील : भोपाल में सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक ऊपरी झील को ‘भोजताल’ या ‘बड़ा तालाब’ भी कहा जाता है। यह देश की सबसे पुरानी मानव निर्मित झील है। माना जाता है कि इस झील का निर्माण राजा भोज ने करवाया था। इसके आसपास कमला पार्क नामक एक बहुत बड़ा गार्डन है, जो इसकी शोभा को और बढ़ाता है।
छोटी झील : छोटा तालाब भोपाल की दूसरी सबसे बड़ी झील है, जो बड़ी झील के साथ जुड़ी हुई है। इन दोनों का विभाजन भोज सेतु कमला पार्क से होता है। कहा जाता है कि 1794 में झील का निर्माण शहर को और सुंदर बनाने के लिए नवाब हयात मोहम्मद खान बहादुर के एक विशेष मंत्री छोटे खान द्वारा करवाया गया था। यह झील शहर के पुराने हिस्से में स्थित है। इसका जलग्रहण क्षेत्र लगभग 9.6 वर्ग कि.मी. है। इसकी वर्तमान में अधिकतम गहराई 10.7 मी. है। यह बड़ी झील की पूर्व दिशा में स्थित है। छोटी झील के किनारे से लगे हुए कमला पार्क और करिश्मा पार्क हैं। जब कभी भोपाल में झील के आसपास शाम की सैर करोगे और सूर्यास्त का दृश्य होगा, तो वह दिन निश्चित ही यादगार बन जाएगा। निचली झील के पास मछली की आकृति का एक मछलीघर भी है, जिसमें बड़ी संख्या में अनेक रंग-बिरंगी मछलियां हैं।
अन्य झीलें : शाहपुरा झील, मोतिया तालाब, नवाब सिद्दीकी हसन खान झील, मुंशी हुसैन खान झील, लेंदिया झील, जवाहर बाल उद्यान झील, सारंगपानी झील, मैनिट झील आदि भोपाल की अन्य प्रमुख झीलें हैं।
भीमबेटका गुफाएं
भोपाल से लगभग 45 कि.मी. दक्षिण में स्थित भीमबेटका गुफाओं को यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। कहते हैं कि ये गुफाएं 30,000 साल से भी पुरानी हैं। मान्यता है कि यह स्थान महाभारत के भीम के चरित्र से संबंधित है, इसलिए इसका नाम भीमबेटका पड़ा। गुफाओं के भीतर सुंदर रूप से गढ़ी गई चट्टानों की संरचनाएं, जो घने, हरी-भरी वनस्पतियों और लकड़ियों से घिरी हुई हैं, एक खूबसूरत अनुभव करवाती हैं। भोपाल घूमने के लिए सबसे आकर्षक स्थानों में से एक, भीमबेटका गुफाएं वास्तव में अपने आप में कला का एक नमूना हैं।
शौकत महल
भोपाल में इस्लामी वास्तुकला की प्रबलता के बीच एशियाई और पश्चिमी स्थापत्य कला की एक सुंदर विसंगति, शौकत महल पर्यटकों द्वारा भोपाल में सबसे अधिक बार देखा जाने वाला स्थान है। प्रसिद्ध चौक क्षेत्र के प्रवेश द्वार की शोभा बढ़ाते हुए, सिकंदर बेगम के शासनकाल में बनाई गई इमारत, पुनर्जागरण और गॉथिक शैलियों का अनूठा मिश्रण भी प्रदर्शित करती है, साथ ही जटिल नक्काशी इस संरचना में चार चांद लगा देती है। शौकत महल को भव्य सदर मंजिल से ऊंचा बनाया गया है।
मोती मस्जिद
देश की सबसे दिलचस्प मस्जिदों में से एक, मोती मस्जिद का निर्माण 1862 में अपने समय की सबसे प्रगतिशील और स्वतंत्र सोच वाली महिला सिकंदर जहान बेगम ने करवाया था। सुंदर, शुद्ध सफेद संगमरमर से तैयार की गई मस्जिद की वास्तुकला दिल्ली में ऐतिहासिक जामा मस्जिद के समान है। स्मारक के चमकदार सफेद हिस्से ने इसे ‘पर्ल मस्जिद’ नाम दिया है, जिसमें एक भव्य आंगन है, जहां की खिड़की से आप शहर के कुछ खूबसूरत नजारे देख सकते हैं। इतिहास प्रेमियों के लिए मोती मस्जिद बैस्ट जगह है।
सांची स्तूप
भोपाल से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक सांची स्तूप की भव्यता आज तक बेजोड़ है।
माना जाता है कि तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनी यह इमारत मौर्य राजवंश के महान सम्राट अशोक के शासनकाल में बनाई गई थी और यह देश के सबसे उल्लेखनीय बौद्ध स्मारकों में से एक है। मौर्य राजा ने बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए पूरे देश में भगवान बुद्ध के नश्वर अवशेषों को पुर्नवतरित करने का कार्य किया। स्तूप के विशाल गुंबद में एक केंद्रीय तिजोरी है, जहां भगवान बुद्ध के अवशेष रखे गए हैं।
भोजपुर मंदिर
भोजपुर मंदिर की स्थापना और निर्माण धार के परमार राजा भोज ने दसवीं शताब्दी में कराया था। भोले बाबा का यह धाम बेतवा नदी के किनारे एक पहाड़ी पर है। शिव के इस धाम को भोजपुर शिव मंदिर या फिर भोजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
चारों तरफ हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता इस मंदिर को और भी ज्यादा खूबसूरत बना देती है। साथ ही यहां पर बेहतरीन वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। भोजेश्वर मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहां का विशाल शिवलिंग है, जिसकी लंबाई 21.5 फुट है।
मान्यता है कि जब पांडव अज्ञातवास काट रहे थे तो वे यहां कुछ वक्त के लिए बसे थे। इसी दौरान पांडवों ने माता कुंती की पूजा के लिए भव्य शिव मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर को विशालकाय पत्थरों से खुद भीम ने अपने हाथों से तैयार किया ताकि बेतवा नदी के पवित्र जल से स्नान के बाद माता कुंती भगवान शिव की आराधना कर सकें। इसी का नाम आगे चलकर भोजेश्वर महादेव मंदिर पड़ा।