मैकल पर्वत से घिरा हजार साल पुराना मंदिर, लड़ रहा अपने अस्तित्व की लड़ाई

Edited By Jyoti,Updated: 24 Sep, 2022 04:50 PM

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आप में से लगभग लोगों ने खजुराहो का नाम सुना होगा जो न केवल भारत देश में बल्कि पूरी दुनिया में फेमस है। ये एक ऐसा धार्मिक स्थल है जहां एक मंदिर के अंदर कितने और मंदिर स्थापित है। परंतु क्या आप जानते हैं ऐसा ही एक मंदिर छत्तीसगढ़ के कवर्धा से करीब 10...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
CG में है खजुराहो जैसा भोरमदेव मंदिर
करीब 1 हजार साल पुराना है ये मंदिर
अव्यवस्था की मार झेल रहा भोरमदेव मंदिर
न शासन मंदिर पर ध्यान दे रहा न प्रशासन
छत्तीसगढ़ के कवर्धा में है ये मंदिर

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आप में से लगभग लोगों ने खजुराहो का नाम सुना होगा जो न केवल भारत देश में बल्कि पूरी दुनिया में फेमस है। ये एक ऐसा धार्मिक स्थल है जहां एक मंदिर के अंदर कितने और मंदिर स्थापित है। परंतु क्या आप जानते हैं ऐसा ही एक मंदिर छत्तीसगढ़ के कवर्धा से करीब 10 किमी दूर मैकल पर्वत समूह के बीचों बीच भी स्थित है। जिसे मिनी खजराहो (Mini Khajuraho) के नाम से जाना जाता है। बता दें इस मंदिर का वास्तविक नाम है भोरमदेव मंदिर। जो करीबन 1 हजार वर्ष प्राचीन माना जाता है। बताया जाता है इस मंदिर का निर्माण खजुराहो और कोणार्क के मंदिर की तरह किया गया है। मंदिर की सुंदरता बनावट ऐसी है कि जो भी इसे देखता है वह बिना इसकी तारीफ किए नहीं रह पाता। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उसी भोरमदेव मंदिर को पुरातत्व की नजर लग गई है। विभाग की अनेदखी के कारण मंदिर का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है। दअरसल मंदिर में जगह-जगह बारिश के पानी का रिसाव हो रहा है। जो कि मंदिर के लिए खतरा बना हुआ है। बारिश होने पर स्थिति और ज्यादा खराब होती जा रही है। 
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मंदिर में घुसने से लेकर गर्भगृह तक जगह जगह पानी टपकता रहता है। तीन साल पहले पुरातत्व विभाग द्वारा बढ़ती समस्या को देखते हुए मंदिर की उचित रखरखाव के लिए केमिकल पॉलिश करने आदि जैसी कई गाइडलाइन्स को जारी किया गया। मंदिर के पास बड़े पेड़ को काटने व मंदिर के चारों ओर 5 फीट तक गहरा करके सीमेंट से मजबूती देने का दावा किया गया था। साथ ही मंदिर में चावल को विशेष रूप से प्रतिबंधित किया गया था। लेकिन आज तीन साल बाद भी कोई काम नहीं किया गया। वहीं मंदिर परिसर में जगह जगह चावल न डालने की अपील चस्पा करने के बाद भी लोगों मे भी जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है। बता दें भोरमदेव मंदिर की ख्याति आज देश ही नही विदेशों तक फैली हुई है। मंदिर की धार्मिक मान्यता भी लोगों मे खूब है। इसके बाद भी पुरातत्व विभाग द्वारा अनदेखी करना बड़ी लापरवाही साबित हो सकती है।
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बता दें कि स्थानीय प्रशासन द्वारा कई बार पुरातत्व विभाग को इस इस बारे में जानकारी दे चुका है। लेकिन मंदिर के अस्तित्व बचाने कोई पहल नही किया जा रहा है। अब जिले के नए कलेक्टर फिर से मामले में काम शुरू करने का दावा कर रहे हैं। लेकिन क्या वाकई में इस मंदिर का कायाकल्प होगा, इस बात का यहां के लोगों को बेसब्री से इंतजार है। 
 

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