Bhubaneswar: शिव मंदिरों का नगर है भुवनेश्वर, आपको भी जरूर करने चाहिए दर्शन

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Aug, 2024 07:46 AM

bhubaneswar

भुवनेश्वर ओडिशा प्रांत की राजधानी और एक प्रसिद्ध नगर है। हावड़ा-वाल्टेयर रेल लाइन पर कटक-खुर्दा रोड के बीच में कटक से 18 मील दूर भुवनेश्वर स्टेशन है। स्टेशन से भुवनेश्वर का मुख्य मंदिर लगभग 3 मील पर है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Bhubaneswar is the city of Shiva temples: भुवनेश्वर ओडिशा प्रांत की राजधानी और एक प्रसिद्ध नगर है। हावड़ा-वाल्टेयर रेल लाइन पर कटक-खुर्दा रोड के बीच में कटक से 18 मील दूर भुवनेश्वर स्टेशन है। स्टेशन से भुवनेश्वर का मुख्य मंदिर लगभग 3 मील पर है। काशी के समान ही भुवनेश्वर शिव मंदिरों का नगर है। ऐसा कहा जाता है कि यहां कई सहस्र मंदिर थे। अब भी मंदिरों की संख्या कई सौ है। लोग इसे उत्कल वाराणसी और गुप्तकाशी भी कहते हैं, जबकि पुराणों में इसे एकाम्र क्षेत्र का नाम दिया गया है। भगवान शंकर ने इस क्षेत्र को प्रकट किया, इससे यह शाम्भव क्षेत्र भी कहलाता है। पुरी के समान यहां भी महाप्रसाद का माहात्म्य माना जाता है। प्राय: श्रद्धालु मंदिर की परिधि में नृत्य मंडप में प्रसाद ग्रहण करते हैं।

PunjabKesari Bhubaneswar
भुवनेश्वर में 9 प्रसिद्ध तीर्थ हैं, जिनमें श्रद्धालुओं को स्नान प्रोक्षणादि करना चाहिए- बिंदू सरोवर, पापनाशिनी, गंगा-यमुना, कोटि तीर्थ,  देवी पापहरा, मेघ तीर्थ, अलावु तीर्थ, अशोक कुंड (रामहद) और ब्रह्मकुंड। इनमें भी बिंदू सरोवर तथा ब्रह्मकुंड का स्नान मुख्य माना जाता है।

PunjabKesari Bhubaneswar

Bindu-sarovar बिंदू-सरोवर : भुवनेश्वर के बाजार के पास मुख्य सड़क से लगा हुआ यह सुविस्तृत सरोवर है। समस्त तीर्थों का जल इसमें डाला गया है, इसलिए इसे परम पवित्र माना जाता है। सरोवर के मध्य में एक मंदिर है। वैशाख महीने में यहां चंदन यात्रा (जल विहार) का उत्सव होता है। सरोवर के चारों ओर बहुत से मंदिर हैं।

Brahmakund ब्रह्मकुंड : बिंदू सरोवर से लगभग दो फर्लांग दूर नगर के बाहरी भाग में एक बड़े घेरे के भीतर ब्रह्मेश्वर मंदिर तथा अन्य कई मंदिर हैं। इसी घेरे में ब्रह्मकुंड, मेघकुंड, रामहद तथा अलावु तीर्थ कुंड हैं। इन कुंडों के समीप मेघेश्वर, रामेश्वर एवं अलावुकेश्वर मंदिर हैं। इनमें से ब्रह्मकुंड में स्नान किया जाता है। कुंड में गौमुख से बराबर जल गिरता है और एक मार्ग से कुंड के बाहर जाता रहता है।

PunjabKesari Bhubaneswar

Shri lingaraja Temple श्री लिंगराज मंदिर: श्रीलिंगराज मंदिर भुवनेश्वर का मुख्य मंदिर है। श्रीलिंगराज का ही नाम भुवनेश्वर है। यह मंदिर उच्च प्रकार के भीतर है। चारों ओर चार द्वार हैं, जिनमें मुख्य द्वार को सिंहद्वार कहा जाता है। सिंहद्वार से प्रवेश करने पर पहले गणेश जी का मंदिर मिलता है। आगे नंदी स्तम्भ है और उसके आगे मुख्य मंदिर का भोगमंडप है। इसी मंडप में हरिहर मंत्र से लिंगराज जी को भोग लगाया जाता है।

भोगमंडप के आगे नाट्य मंदिर (जगमोहन) है। आगे मुखशाला है, जिसमें दक्षिण की ओर द्वार है। यहां से आगे विमान (श्रीमंदिर) है। इस निज मंदिर की निर्माण कला उत्कृष्ट है। इसके बाहरी भाग में अत्यंत मनोरम शिल्प सौंदर्य है। भीतर का अंश भी मनोहर है। श्रीलिंगराज जी के निज मंदिर में चपटा अगठित विग्रह है। यह वस्तुत: बुद-बुद लिंग है। शिला में बुदबुदाकर उठे हुए अंकुर भागों को बुदबुद लिंग कहा जाता है।

PunjabKesari Bhubaneswar
यह चक्राकार होने से हरिहरात्मक लिंग माना जाता है और इसीलिए हरिहर मंत्र से इनकी पूजा होती है। कुछ लोग त्रिभुजाकर होने से इन्हें हरगौर्यात्मक तथा दीर्घ होने से कालरुद्रात्मक भी मानते हैं। श्रद्धालु भीतर जाकर स्वयं इनकी पूजा कर सकते हैं। हरिहरात्मक लिंग होने से यहां त्रिशूल मुख्यायुध नहीं माना जाता। पिनाक (धनुष) ही मुख्यायुध माना जाता है। श्रीलिंगराज मंदिर के तीन भागों में तीन मंदिर हैं। मंदिर के दक्षिण भाग वाले मंदिर में गणेश जी की मूर्ति है, उस भाग को ‘निशा’ कहा जाता है।

लिंगराज जी के मंदिर के पाश्र्व भाग में पार्वती मंदिर है। यह मूर्ति खंडित होने पर भी सुंदर है। उत्तर भाग में कार्तिकेय स्वामी का मंदिर है। इन तीनों मंदिरों के अतिरिक्त श्री लिंगराज मंदिर के ऊर्ध्व भाग में र्कीतमुख, नाट्येश्वर, दश दिक्पालादि की मूर्तियां अंकित हैं।
मुख्य लिंगराज मंदिर के अतिरिक्त कई प्रकार के भीतर बहुत से देव-देवियों के मंदिर हैं। उनमें महाकालेश्वर, लक्ष्मी-नृसिंह, यमेश्वर, विश्वकर्मा, भुवनेश्वरी और गोपालिनी जी (पार्वती) के मंदिर मुख्य हैं। इनमें भुवनेश्वरी तथा पार्वती जी को श्री लिंगराज जी की शक्ति माना जाता है। भुवनेश्वरी मंदिर के समीप ही नंदी मंदिर है, जिसमें विशाल नंदी की मूर्ति है।

PunjabKesari Bhubaneswar
Some other important temples of Bhubaneswar भुवनेश्वर के कुछ अन्य प्रमुख मंदिर
Ananta Vasudev अनंत वासुदेव :
एकाग्र क्षेत्र (भुवनेश्वर) के ये ही अधिष्ठातृ देवता हैं। भगवान शंकर इन्हीं की अनुमति से इस क्षेत्र में पधारे। बिंदू-सरोवर के मणिकर्णिका घाट पर ऊपरी भाग में यह मंदिर है। यहां मुख्य मंदिर में सुभद्रा, नारायण तथा लक्ष्मी जी के श्रीविग्रह हैं।

Rameshwar रामेश्वर : स्टेशन से भुवनेश्वर आते समय मार्ग में यह मंदिर पड़ता है। इसे गुंडीचा मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्रीलिंगराज जी का रथ यहां आता है।

Brahmeshwar ब्रह्मेश्वर : ब्रह्मकुंड के समीप यह अत्यंत ही कलापूर्ण मंदिर है। इसमें शिव, भैरव, चामुंडा आदि की मूर्तियां दर्शनीय हैं।

PunjabKesari Bhubaneswar
Megheshwar मेघेश्वर : ब्रह्मकुंड के पास ही मेघेश्वर तथा भास्करेश्वर मंदिर हैं। ये दोनों ही मंदिर प्राचीन और कलापूर्ण हैं।

Raja-Rani Temple राजा-रानी मंदिर : यह मंदिर कटक-भुवनेश्वर सड़क के पास है। मंदिर बहुत सुंदर है। इसका शिल्प सौंदर्य श्रद्धालुओं को बहुत आकर्षित करता है। 

PunjabKesari Bhubaneswar

 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!