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Bhutadi Amavasya 2025: मार्च महीने में इस दिन है भूतड़ी अमावस्या, यहां जानें शुभ मुहूर्त और तिथि

Edited By Prachi Sharma,Updated: 17 Mar, 2025 06:44 AM

bhutadi amavasya 2025

भूतड़ी अमावस्या एक विशेष अमावस्या होती है। यह दिन तंत्र-मंत्र, आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए बहुत महत्व रखता है।

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Bhutadi Amavasya 2025: भूतड़ी अमावस्या एक विशेष अमावस्या होती है। यह दिन तंत्र-मंत्र, आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए बहुत महत्व रखता है। भूतड़ी अमावस्या का मुख्य महत्व इस दिन को बुरी आत्माओं, नकारात्मक ऊर्जा और जीवन की परेशानियों से मुक्ति प्राप्त करने के रूप में देखा जाता है। इस दिन विशेष रूप से तंत्र साधना, शांति पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से जीवन की नकारात्मकता को समाप्त करने के उपाय किए जाते हैं। आइए जानते हैं वर्ष 2025 में कब मनाई जाएगी भूतड़ी अमावस्या। 

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Chaitra Amavasya Date चैत्र अमावस्या तिथि 2025 
पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में भूतड़ी अमावस्या 28 मार्च को रात 7 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी और 29 मार्च शाम 4 बजकर 27 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार 29 मार्च को अमावस्या तिथि मान्य होगी।  

Bhutdi Amavasya auspicious yoga भूतड़ी अमावस्या शुभ योग 
ज्योतिष गणना के अनुसार भूतड़ी अमावस्या के दिन बहुत शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में यदि पूजा-पाठ किया जाए तो जीवन में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की देखने को मिलती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन ब्रह्म, इंद्र योग और शिव वास योग का निर्माण बनने जा रहा है। इस दिन महादेव की पूजा करने का विशेष महत्व है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए ये दिन बेहद ही खास है। 

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Why is it called Bhootdi Amavasya क्यों कहते हैं भूतड़ी अमावस्या:
किवदिंतियों के अनुसार नकारात्मक शक्तियों और भूत-प्रेतों का प्रभाव अधिक माना जाता है। यह रात अंधकारमय होती है और अमावस्या के समय चंद्रमा का प्रभाव भी विशेष रूप से महसूस होता है। खासकर चैत्र अमावस्या को रजो और तमो गुण की प्रबलता के कारण इसे एक विशेष रूप से प्रभावशाली दिन माना जाता है। कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विशेष पूजा-अर्चना, तंत्र-मंत्र या अनुष्ठान किए जाते हैं ताकि इन नकारात्मक शक्तियों से बचा जा सके। साथ ही, यह भी माना जाता है कि इस दिन विशेष रूप से ध्यान और साधना करने से व्यक्ति अपने मानसिक और आत्मिक संकटों से उबर सकता है। आपने सही कहा कि चंद्रमा का प्रभाव मन की स्थिति पर असर डालता है और अमावस्या की रात में यह प्रभाव और भी गहरा हो सकता है। इस दिन कुछ लोग रात के समय को विशेष पूजा-अर्चना और आत्म-संवेदनशीलता के लिए समर्पित करते हैं, ताकि वे इन नकारात्मक शक्तियों से बच सकें और अपने जीवन में शांति और संतुलन ला सकें।

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