Edited By Jyoti,Updated: 18 Sep, 2022 11:01 AM
‘भोलेनाथ’ जिन्हें न केवल देवों के देव महादेव कहा जाता है बल्कि इन्हें समस्त देवी-देवताओँ में से सबसे भोले माना जाता है। यही कारण है कि ये अपने भक्तों पर शीघ्र ही
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‘भोलेनाथ’ जिन्हें न केवल देवों के देव महादेव कहा जाता है बल्कि इन्हें समस्त देवी-देवताओँ में से सबसे भोले माना जाता है। यही कारण है कि ये अपने भक्तों पर शीघ्र ही प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। बता दें हिंदू धर्म ब्रह्मा जी को इस सृष्टि के रचनाकार, विष्णु जी को पालनकर्ता कहा गया है वहीं भोलेनाथ को सहांर के देवता का दर्जा प्राप्त है। शिव पुराण के साथ साथ हिंदू धर्म के अन्य शास्त्रों में भी महाकाल से जुड़े कईं रहस्य बताए गए हैं। जो न केवल दिलचस्प हैं बल्कि हैरान जनक भी हैं। आज हम आपको इसी कड़ी में शिव जी के एक ऐसे प्रस्द्ध मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो प्राचीन तो है ही बल्कि साथ ही साथ अपने आप मे बेहद विशेष है।
बता दें हम जिस मंदिर की बात कह रहे हैं वे उत्तर प्रदेश के कानपुर में भूतेश्वार मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार इसकी सबसे खास बात ये है कि इस मंदिर का निर्माण मानव जीव द्वारा नहीं बल्कि प्राचीन समय में भूतों द्वारा करवाया गया था। तो चलिए आपकी उत्,सुक्ता को और न बढ़ाते हुए जानते हैं क्या है इस मंदिर से जुड़ी अन्य रोचक जानकारी-
मंदिर से जुड़ी खास जानकारी-
मंदिर को लेकर भक्तों का मानना है कि यहां विराजमान बाबा भूतेश्वर सबकी मनोकामनाओं को शीघ्र पूरा करते हैं। खास तौर पर सावन के महीने में यहां श्रद्धालु दूर-दूर से बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। बात करें मंदिर के निर्माण की तो स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका निर्माण भूतों ने करवाया था। खास बात तो ये है कि इस मंदिर को बनवाने के लिए सालों साल का समय नहीं बल्कि इसे रातों रात बनवाया गया था। जिस कारण इस स्थल का नाम नाम भूतेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। जानकारी के लिए बता दें भूतेश्वर का अर्थ है भूतों के ईश्वर। मंदिर के महन्त महाराज गिरी के मुताबिक मंदिर हजारों साल पुराना है।
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उनके अनुसार इस मंदिर का संबंध न केवल भगवान शिव व भूतों से है बल्कि श्री राम से भी माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम ने जब सीता माता का परित्याग कर दिया था तब सीता माता यहां लव-कुश के साथ बिठूर में रहती थीं। मंदिर परिसर के बारे में बात करें तो पुजारियों के अनुसार प्रचीन समय में मंदिर के भीतर दो सुरंगे थी जिसमें से एक रावतपुर क्षेत्र में और दूसरी बिठूर क्षेत्र में खुलती थी। ऐसा कहा जाता है कि रावतपुर की रानी रौतेला इन्ही सुरंगों से होकर भूतेश्वर महादेव की पूजा करने के लिए आती थीं। चूंकि रौतेला रानी बेहद खूबसूरत थी उन्हें कोई देख न पाए इसके लिए रावतपुर के राजा ने उनके लिए दो सुरंगों का निर्माण करवाया दिया था, जो आज भी यहां मौजूद हैं।
यहां के लोगों को भूतेश्वर महादेव में अटूट विश्वास है। उनका मानना है कि भूतेश्वर बाबा किसी की भी मनोकामना को व्यर्थ नहीं जाने देते, सभी भक्त बाबा के द्वार से प्रसन्न होकर जाते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण हो जाने के बाद बाबा को पीतल के घण्टे चढ़ाते हैं।
भूतेश्वर महादेव मंदिर में रोजाना सुबह 5 बजे महादेव की आरती होती है जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल होते हैं। यह नजारा बेहद अद्भुत व भव्य होता है।