Edited By Prachi Sharma,Updated: 05 Feb, 2025 12:19 PM
बिजली महादेव मंदिर हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी के सुंदर गांव काशवरी में है, जो 2460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसे भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में भी गिना जाता है।
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Bijli Mahadev Mandir: बिजली महादेव मंदिर हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी के सुंदर गांव काशवरी में है, जो 2460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसे भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में भी गिना जाता है।
रहस्यमय बिजली
मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग से हर 12 साल में रहस्यमय तरीके से आसमानी बिजली टकराती है। इस रहस्य को अभी तक कोई नहीं समझ पाया है और बिजली गिरने की इस घटना की वजह से शिवलिंग के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। माना जाता है कि मंदिर के पुजारी सभी टुकड़ों को इकट्ठा करके उन्हें अनाज, दाल के आटे और कुछ अनसाल्टेड मक्खन से बने पेस्ट के उपयोग से जोड़ते हैं। इसके कुछ महीनों के बाद शिवलिंग पहले जैसा लगने लगता है।
स्थानीय मान्यता
स्थानीय लोगों के अनुसार, पीठासीन देवता क्षेत्र के निवासियों को किसी भी बुराई से बचाना चाहते हैं, जिस वजह से बिजली शिवलिंग से टकरा जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि बिजली एक दिव्य आशीर्वाद है, जिसमें विशेष शक्तियां होती हैं।
कथा
कहा जाता है कि एक बार कुल्लू की घाटी में कुलंत नामक एक राक्षस रहता था। एक दिन, वह एक विशाल सांप का रूप लेकर पूरे गांव में रेंगते हुए लाहौल-स्पीति के मथन गांव पहुंच गया। ऐसा करने के लिए उसने ब्यास नदी के प्रवाह को रोकने की कोशिश की, जिस वजह से गांव में बाढ़ आ गई थी। भगवान शिव उस राक्षस को देख रहे थे और गुस्से में उन्होंने उसके साथ युद्ध करना शुरू कर दिया। शिवजी द्वारा सांप रूपी राक्षस का वध करने के तुरंत बाद वह एक विशाल पर्वत में बदल गया, जिससे इस शहर का नाम कुल्लू पड़ गया। बिजली गिरने को लेकर लोक मान्यता है कि भगवान शिव जी के आदेश से भगवान इंद्र हर 12 वर्ष में मंदिर में मौजूद शिवलिंग पर बिजली गिराते हैं।
कैसे पहुंचें
मंदिर कुल्लू से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है और यहां तक आप 3 किलोमीटर की ट्रैकिंग करते हुए पहुंच सकते हैं। यह ट्रैक पर्यटकों के लिए काफी मजेदार है। घाटियों और नदियों के कुछ मनोरम नजारों का आनंद लेने के लिए यह जगह बैस्ट है।