mahakumb

भगवान शिव का रहस्यमयी मंदिर, 12 साल में शिवलिंग पर गिरती है बिजली

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Aug, 2017 11:25 AM

bijli mahadev temple in kullu

देवभूमि हिमाचल में बहुत सारे देवी-देवताअों के मंदिर हैं। वहीं हिमाचल के कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत के ऊपर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर

देवभूमि हिमाचल में बहुत सारे देवी-देवताअों के मंदिर हैं। वहीं हिमाचल के कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत के ऊपर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर है। माना जाता है कि यह विशालकाय घाटी सांप का रूप है। इस सांप का वध भगवान शिव ने किया था। यहां जिस स्थान पर मंदिर है, वहां शिवलिंग पर हर 12 साल में एक बार भयंकर आकाशीय बिजली गिरती है। जिससे शिवलिंग खंडित हो जाता है। उसके बाद पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़ों को मक्खन से जोड़ते हैं। कुछ महीनों के बाद शिवलिंग ठोस स्वरूप में परिवर्तित हो जाते हैं। यहां बिजली क्यों गिरती है अौर इस स्थान का कुल्लू नाम क्यों पड़ा इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। 
PunjabKesari
कहा जाता है कि बहुत समय पूर्व यहां कुलांत नामक दैत्य रहता था। दैत्य कुल्लू के पास की नागणधार से अजगर का रूप धारण कर मंडी की घोग्घरधार से होता हुआ लाहौल स्पीति से मथाण गांव आ गया। दैत्य रूपी अजगर कुंडली मार कर ब्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था। इसके पीछे उसका उद्देश्य यह था कि यहां रहने वाले सभी जीवजंतु पानी में डूब कर मर जाएंगे। भगवान शिव कुलांत के इस विचार से से चिंतित हो गए।
PunjabKesari
भगवान शिव ने दैत्य को अपने विश्वास में लिया अौर उसके कान में कहा कि उसकी पूंछ में आग लगी है। इतना सुनते ही कुलांत जैसे ही देखने के लिए पीछे मुड़ा तभी भोलेनाथ ने अपने त्रिशूल से उस दैत्य के सिर पर वार कर दिया। जिससे वह मारा गया। कुलांत के मरने से उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया। कुलांत दैत्य का शरीर जितने क्षेत्र में फैला हुआ था उतना पर्वत में बदल गया। कुल्लू घाटी का बिजली महादेव से रोहतांग दर्रा और उधर मंडी के घोग्घरधार तक की घाटी कुलांत के शरीर से निर्मित मानी जाती है। कुलांत से ही कुलूत और इसके बाद कुल्लू नाम पड़ा। 
PunjabKesari
इसके बाद भगवान शिव ने इंद्र को आदेश दिया कि हर 12 साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराएं। तभी से यह सिलसिला जारी है। यहां के लोग मंदिर पर बिजली गिरते देखते हैं। जिसमें शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है, लेकिन पुजारियों के इसे मक्खन से जोड़ते ही ये फिर पुराने स्वरूप में आ जाते हैं।
PunjabKesari
भोलेनाथ नहीं चाहते थे कि जब बिजली गिरे तो जन धन की हानि हो। इसलिए उन्होंने लोगों को बचाने के लिए बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं। जिसके कारण उन्हें बिजली महादेव कहा जाता है। कुल्लू शहर से बिजली महादेव की पहाड़ी लगभग सात किलोमीटर दूर है। यह स्थान समुद्र स्तर से 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सर्दियों में यहां बर्फ होती है। देश-विदेश से श्रद्धालु बिजली महादेव के दर्शन करने यहां आते हैं। 
 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!