Birthday of Swami Vivekananda: जानें, स्वामी विवेकानंद जयंती पर क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Jan, 2024 07:55 AM

birthday of swami vivekananda

9 वर्ष के संक्षिप्त जीवन में स्वामी विवेकानन्द जो काम कर गए, वे आने वाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।  उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में नरेन्द्रनाथ दत्त के नाम से हुआ।

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Birth anniversary of Swami Vivekananda: 39 वर्ष के संक्षिप्त जीवन में स्वामी विवेकानन्द जो काम कर गए, वे आने वाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।  उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में नरेन्द्रनाथ दत्त के नाम से हुआ। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे, माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं। घर में धार्मिक वातावरण के कारण बालक के मन में बचपन से ही ईश्वर को जानने और उसे प्राप्त करने की लालसा दिखाई देने लगी थी।

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1871 में, 8  वर्ष की उम्र में, नरेन्द्रनाथ ने ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मैट्रोपोलिटन संस्थान में दाखिला लिया। वह नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम व खेलों में भाग लिया करते थे। 1884 में कला स्नातक की डिग्री पूरी कर ली। 1884 में इनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई और घर का भार नरेंद्र पर आ पड़ा।

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1881 रामकृष्ण परमहंस जी से इनकी पहली मुलाकात हुई, जिनकी प्रशंसा सुनकर नरेंद्र उनके पास पहले तो तर्क करने के विचार से ही गए थे, परंतु परमहंस जी ने देखते ही पहचान लिया कि यह तो वही शिष्य है, जिसका उन्हें इंतजार था। परमहंस जी की कृपा से इनको आत्म-साक्षात्कार हुआ जिसके फलस्वरूप ये परमहंस जी के शिष्यों में प्रमुख हो गए। संन्यास लेने के बाद इनका नाम विवेकानंद हुआ। नरेन्द्र ने 25 वर्ष की आयु में गेरुआ वस्त्र धारण कर लिए थे। तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की।  

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विवेकानंद ने 31 मई, 1893 को अपनी विदेश यात्रा शुरू की और जापान के कई शहरों (नागासाकी, कोबे, योकोहामा, ओसाका, क्योटो और टोक्यो) का दौरा किया, चीन और कनाडा होते हुए अमरीका के शिकागो पहुंचे। यूरोप-अमरीका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे। वहां लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानंद को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय न ही मिले परंतु एक अमरीकन प्रोफैसर के प्रयास से इन्हें 2 मिनट का समय मिला।

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इन्होंने 11 सितम्बर, 1893 को विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने शिकागो भाषण की शुरूआत, ‘मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों’ के साथ की। इस प्रथम वाक्य ने दुनिया का दिल जीत लिया और हाल में बैठे लोग 2 मिनट लगातार तालियां बजाते रहे। स्वामी जी समय पूरा होने पर अपने स्थान पर बैठने लगे तो लोगों द्वारा उनके विचार सुनने की जिद करने पर आयोजकों को उन्हें समय देना पड़ा।

अमरीका में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखाएं स्थापित कीं। वह 3 वर्ष अमरीका में रहे और वहां के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान की। उनकी वक्तव्य शैली तथा ज्ञान को देखते हुए वहां के मीडिया ने उन्हें  ‘साइक्लॉनिक हिन्दू’ का नाम दिया। जनवरी, 1897 में भारत वापस आने पर रामनाथपुरम् (रामेश्वरम) में इनका जोरदार स्वागत हुआ।

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National Youth Day 2024 Date: 39 वर्ष 5 माह और 23 दिन की आयु में जीवन के अंतिम दिन 4 जुलाई, 1902 को भी उन्होंने अपनी ध्यान दिनचर्या नहीं बदली और रात्रि 9 बज कर 10 मिनट पर ध्यानावस्था में ही अपने ब्रह्मरंध्र को भेदकर महासमाधि ले ली। बेलूर में गंगा तट पर चंदन की चिता पर उनकी अंत्येष्टि की गई। शिष्यों व अनुयायियों ने इनकी स्मृति में वहां एक मन्दिर बनवाया और समूचे विश्व में विवेकानन्द तथा उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के संदेशों के प्रचार के लिए 130 से अधिक केंद्रों की स्थापना की। 1984 में भारत सरकार ने इनके जन्मदिन 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस घोषित किया जो 1985 से हर वर्ष  इसी रूप में मनाया जाता है।

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