Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jan, 2023 09:39 AM
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‘प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय’ के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा (दादा लेखराज कृपलानी) ने एक साधारण शरीर में जन्म लेकर लाखों लोगों के जीवन में
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Life of Brahma Baba: ‘प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय’ के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा (दादा लेखराज कृपलानी) ने एक साधारण शरीर में जन्म लेकर लाखों लोगों के जीवन में मानवता के गुणों को तप, ध्यान और साधना से शुद्ध कर दैवी गुण अपनाने की प्रेरणा दी। उनका जन्म सन् 1876 में सिन्ध प्रांत (अब पाकिस्तान) के एक साधारण परिवार में हुआ। बचपन में ही माता को खो देने वाले बाबा कम उम्र से ही बड़े ओजस्वी, तेजस्वी और दयालु प्रकृति के थे। आपसे किसी का भी संकट सहन नहीं होता था, हर स्थिति में मदद करना इनके व्यक्तित्व में शुमार था। जब ईश्वर की आराधना करने बैठते तो सर्वप्रथम पूरे विश्व की मनुष्यात्माओं के दुख-दर्द मिटाने की कामना करते थे।
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Brahma Baba Remembrance Day: लेखराज बचपन से इतने सौम्य और असाधारण थे कि इन्हें लोग प्यार से दादा कहते थे। बड़े होकर वह हीरे-जवाहरात के व्यापार में लग गए। देखते ही देखते इनके व्यापार की ख्याति फैल गई। व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि जो भी इनसे एक बार मिलता, इन्हीं का हो जाता। 60 वर्ष की उम्र में उनके जीवन में एक महान परिवर्तन आया। एक दिन वाराणसी में अपने मित्र के यहां रात्रि में उन्हें इस पुरानी दुनिया के महाविनाश की भयंकर लीला तथा नई दुनिया की स्थापना के साथ-साथ विष्णु चतुर्भुज का साक्षात्कार हुआ और उन्हें आवाज आई कि इस दुनिया का महाविनाश होने वाला है और तुम्हें नई दुनिया की स्थापना का महान कार्य करना है। जब उन्होंने इसके बारे में पूछा तो किसी के भी पास इसका उत्तर नहीं था।
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Dada Lekhraj: दादा समझ गए कि यह किसी अलौकिक शक्ति का ही कमाल है। इन प्रश्नों का हल शीघ्र ही उनके घर आने पर मिल गया और स्वयं ईश्वरीय शक्ति ने अपना परिचय परमात्मा शिव के रूप में दिया और कहा कि तुम्हें इस दुनिया के परिवर्तन का महान कार्य करना है। उस दिन से दादा को हीरे-जवाहरात का व्यापार कौड़ियों तुल्य लगने लगा। वह सदा मनुष्य के अंदर छिपे सच्चे हीरे के पारखी बनने की बात सोचने लगे। इस तरह इस संस्था की स्थापना सन् 1937 में हैदराबाद सिन्ध में हुई। प्रारम्भिक काल में संस्था का नाम ‘ओम-मण्डली’ रखा गया। इस महान कार्य के लिए ब्रह्मा बाबा को कई आसुरी शक्तियों का विरोध झेलना पड़ा, जिनका जबाब उन्होंने दैवी गुणों से दिया।
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Brahma Baba the founder: भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद सन् 1950 में इस संस्था ने माऊंट आबू, राजस्थान से मानवता के दीप से दीप जलाने का कार्य प्रारम्भ हुआ। प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने सभी मनुष्यात्माओं में छिपे अदृश्य दुश्मनों काम, क्रोध, लोभ आदि पांच विकारों को सच्चे दुश्मन के रूप में परिभाषित करते इनसे मुक्ति की राह बताई। बाबा ने माताओं-बहनों को उस समय ऊंचा सम्मान दिया जब समाज में उनके अधिकारों की चर्चा तक नहीं होती थी। माताओं-बहनों के अधिकारों की रक्षा करते तथा उन्हें शक्तिशाली बनाने के लिए स्व-पुरुषार्थ के लिए प्रेरित करते रहे।
Brahma Baba Remembrance Day: प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से लोगों को आध्यात्मिकता का मर्म समझाया और मौन की शक्ति से आत्मा के अन्दर छिपे शक्ति पुंज तथा दैवी गुणों को जागृत करने के लिए प्रेरित किया। 18 जनवरी, 1969 को उन्होंने अपने नश्वर शरीर का त्याग कर दिया।
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