Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jan, 2021 09:55 AM
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा (दादा लेखराज कृपलानी) ने एक साधारण तन में जन्म लेकर लाखों लोगों के जीवन में मनुष्यता के गुणों को तप, ध्यान और साधना से
Birth Anniversary of Dada Lekhraj Kripalani: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा (दादा लेखराज कृपलानी) ने एक साधारण तन में जन्म लेकर लाखों लोगों के जीवन में मनुष्यता के गुणों को तप, ध्यान और साधना से शुद्ध कर दैवी गुण अपनाने की प्रेरणा दी। उनका जन्म सन् 1876 में सिंध प्रांत (पाकिस्तान) के एक कुलीन और साधारण परिवार में हुआ। बचपन से ही वह बड़े ओजस्वी, तेजस्वी और दयालु प्रकृति के थे।
Happy birthday dear baba: जब ईश्वर की आराधना करने बैठते तो सर्व प्रथम पूरे विश्व की मनुष्यात्माओं के दुख-दर्द मिटाने के लिए करते थे। बचपन से इतने सौम्य और असाधारण थे कि इन्हें लोग प्यार से ‘दादा’ कहते थे। ‘दादा’ बड़े होकर हीरे-जवाहरात के व्यापार में लग गए। देखते ही देखते इनके व्यापार की ख्याति भारत सहित आस-पास के कई देशों में फैल गई।
Dada Lekhraj Kripalani's story: बाबा का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि जो कोई भी एक बार मिलता तो उन्हीं का हो जाता। कई राजा-महाराजा यहां तक कहते, ‘‘लेखराज जी राजा तो आप को होना चाहिए।’’ परन्तु दादा सदैव मानवीय सेवाओं की बात करते, मन ही मन सोचते कि कैसे इस संसार का उद्धार होगा, जिसमें लोग सुखी और सम्पन्न हों।
Brahma Kumaris Ashram: साठ साल की उम्र में दादा लेखराज के जीवन में एक महान परिवर्तन आया जब एक दैवीय प्रेरणा से उन्हें हीरे-जवाहरात का व्यापार कौड़ियों तुल्य लगने लगा और वह सदा मनुष्य के अंदर छिपे सच्चे हीरे के पारखी बनने की बात सोचने लगे। उन्होंने अपनी सम्पत्ति बेचकर एक ट्रस्ट की स्थापना की, परमात्मा के आदेशानुसार माताओं-बहनों को आगे रखा। ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना सन् 1937 में हैदराबाद सिंध में की।
Brahma Kumaris Ashram in Mount Abu: प्रारम्भिक काल में संस्था का नाम ‘ओम-मंडली’ रखा गया। इस महान कार्य के लिए ब्रह्मा बाबा को कई आसुरी शक्तियों का विरोध झेलना पड़ा। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद सन् 1950 में यह संस्था एकमात्र पर्यटन स्थल माऊंट आबू, राजस्थान में आई और यहीं से मानवता के दीप से दीप जलाने का कार्य प्रारंभ हुआ। प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने सभी मनुष्यात्माओं में छिपे अदृश्य दुश्मनों काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि पांच विकारों को सच्चे दुश्मन के रूप में परिभाषित करते इनसे मुक्ति की राह बताई।
Brahma Kumaris Story: बाबा ने माताओं-बहनों को उस समय ऊंचा सम्मान दिया जब समाज में महिलाओं के अधिकारों की चर्चा तक नहीं होती थी। उनके अधिकारों की रक्षा करते तथा उन्हें शक्तिशाली बनाने के लिए स्व-पुरुषार्थ के लिए प्रेरित करते रहे।
Brahma Kumaris: प्रजापिता ब्रह्मा बाबा गहन परमात्मा की याद और त्याग, तपस्या द्वारा दैवीगुण धारी बन गए तथा 18 जनवरी 1969 को अपने नश्वर शरीर का त्याग कर सूक्ष्मवतनवासी हो गए।
Brahma Babas birthday: बाबा ने नारी शक्ति के साथ विश्व परिवर्तन का जो कारवां प्रारंभ किया था आज वह एक महान सेना के रूप में तबदील हो चुका है। करीब चालीस हजार बहनें इस पुनीत कार्य में जुटी हैं जिन्होंने विश्व के 140 देशों में दस लाख से भी अधिक लोगों के जीवन में ऊर्जा और शक्ति का संचार किया है। प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 52वीं पुण्यतिथि पर माऊंट आबू सहित पूरे विश्व के 140 देशों में लाखों लोग विश्व-शांति और सद्भावना के लिए प्रार्थना सभाएं आयोजित करेंगे।