जगत पिता होते हुए भी एकमात्र स्थान पर होती है ब्रह्मा जी की पूजा
Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Dec, 2021 11:12 AM
आपने देखा या सुना होगा कि पूरी दुनिया में ब्रह्मा जी का शक्तिपीठ के रूप में एक ही मंदिर है। जो कि राजस्थान के पुष्कर नाथ जी में है
Brahma Mandir Pushkar Rajasthan: आपने देखा या सुना होगा कि पूरी दुनिया में ब्रह्मा जी का शक्तिपीठ के रूप में एक ही मंदिर है। जो कि राजस्थान के पुष्कर नाथ जी में है और ब्रहमा जी की पूजा घरों में क्यों नहीं की जाती और न ही किसी हवन,यज्ञ इत्यादि में जगत रचियता ब्रह्मा जी का आवाहन किया जाता है। इसके पीछ एक पौराणिक वृतांत पंजाब राज्य के कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी नामक टाउन में रखे एक अति प्राचीन ग्रंथ श्री भृगु संहिता में दर्ज है। इस ग्रंथ को पढ़ने वाले श्री मुकेश पाठक जो कि इस ग्रंथ को पढ़ने में सक्षम हैं क्योंकि यह ग्रंथ देवलिपी भृगुलिपी में लिखा हुआ है। इस ग्रंथ के अनुसार ब्रह्मा जी का एक ही मंदिर व घरों इत्यादि में पूजा न होने का कारण है महार्षि भृगु जी का ब्रह्मा जी को दिया गया श्राप। जिसका प्रभाव आज भी हम देख सकते हैं।
प्राचीन समय में जब सभी संतों व महार्षियों ने देखा कि आने वाले समय में इस धरती पर रह रही आत्माएं अति दुखी हैं तो उनके दुख दूर करने के लिये एक हवन की प्रथा आरम्भ करनी चाहिये तो प्रश्न यह उठा कि उस हवन का प्रतिनिधी कौन होगा और किसको यह हवन समर्पित होगा। ताकि हवन करवाने वाले को पुण्यफल की प्राप्ति हो और यर्थात में कल्याण हो सके। तब सभी ने ब्रह्मा जी के पांचवे मानस पुत्र परम तेजस्वी महार्षि भृगु जी की डयूटी लगायी कि जो त्रिदेवों में से श्रेष्ठ होगा वही इस हवन का अध्यक्ष होगा। सबसे पहले भृगु जी सृष्टि रचियता ब्रह्मा जी के पास गये तो ब्रह्मा जी ने भृगु जी को देखकर अनदेखा कर दिया, जिसे भुगु जी ने अपना अपमान समझा व ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि, "हे ब्रह्मा! जाओ तुम्हारी कलयुग में पूजा न हो।"
यह सुनकर ब्रह्मा जी क्रोधित हुये व कहने लगे कि, " इस संसार को रचाने में मेरा नाम आता है। अगर हमें ही इस सृष्टि से बाहर कर दोगे तो यह सृष्टि शून्य हो जायेगी और अगर हम यह सृष्टि का निर्माण कर सकते हैं तो इसका विनाश भी कर सकते हैं।"
तब भृगु जी सोचने लगे कि ब्रहमा जी बात तो ठीक कह रहे हैं और यह भी सोचा कि आने वाली पीढ़ी क्या कहेगी कि मेरी वजह से इस बनी बनायी सृष्टि का विनाश हुआ। इतना बड़ा दोषारोपण मुझ पर लग जायेगा। यह सोचकर भृगु जी का क्रोध शांत हुआ व उन्होंने ब्रह्मा जी से पूछा कि, " हे पिता श्री ! आप क्या चाहते हैं ? "
ब्रह्मा जी बोले, " आप अपना यह श्राप वापिस लो।"
तो भृगु जी ने उत्तर दिया कि, " पिता श्री दिया हुआ श्राप तो वापिस नहीं हो सकता परन्तु इसमें कुछ परिवर्तन हो सकता है।"
ब्रह्मा जी बोले कि, " कुछ भी करो पर कलयुग में मेरी पूजा होनी चाहिये।"
तब श्री भृगु जी बोले कि, " हे ब्रहमदेव ! आपकी कलयुग में पूजा हो।"
श्री भृगु जी ने पूछा कि, " क्या अब आप प्रसन्न हैं ? "
तो ब्रह्मा जी ने हां में जवाब दिया। तब भृगु जी बोले कि आपकी कलयुग में पूजा अवश्य होगी परन्तु सिर्फ एक ही स्थान पर, जहां पर आपके हाथ का यह पुष्प कमल गिरेगा केवल वहां पर। तो वह पुष्प कमल भारत देश के राज्स्थान राज्य के पुष्करनाथ जी में गिरा और वहीं पर ही ब्रह्मा जी का एक ही शक्तिपीठ स्थापित हुआ।
भृगु जी के श्राप के कारण आज तक पुष्कर के अतिरिक्त कहीं भी ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती और न ही किसी हवन, यज्ञ इत्यादि में ब्रह्मा जी का आवाहन किया जाता है। कहा जाता है कि संत वचन पलटे नहीं पलट जाये ब्रह्मांड। वक्त गुजरने के साथ कहीं-कहीं पर अब ब्रह्मा जी के मंदिर की स्थापना की गई है परन्तु प्राचीन शक्तिपीठ सिर्फ एक ही है जो कि पुष्करनाथ जी में स्थित है।
Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)