Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Oct, 2020 06:50 AM
एक बार की बात है, ब्रह्मा तथा विष्णु में विवाद चल पड़ा कि परमेश्वर कौन है?
Religious Katha: एक बार की बात है, ब्रह्मा तथा विष्णु में विवाद चल पड़ा कि परमेश्वर कौन है?
Brahma vishnu mahesh me kon bara: इस विवाद में उठे हुए प्रश्न अर्थात परमेश्वर कौन है? का उत्तर भी वह दोनों स्वयं ही देने लगे अर्थात वे दोनों ही स्वयं को अलग-अलग परमेश्वर प्रमाणित करने लगे। इसी कारण दोनों में परस्पर कलह पैदा हो गई और इसी प्रकार एक अत्यधिक प्रकाशमान ज्योर्तिलिंग प्रकट हुआ, जिसे देख कर दोनों अचम्भे में पड़ गए और उसे बड़े ही ध्यान से देखने लगे।
उसे देखते हुए उनके मन में एक विचार आया और उन्होंने परस्पर यह निश्चित किया कि हम में से जो भी इसके अंतिम भाग का स्पर्श करेगा वही परमेश्वर माना जाएगा।
चूंकि वह ज्योर्तिलिंग नीचे से उभर कर समक्ष आया था अत: ब्रह्मा जी हंस बन कर उसका अग्रभाग स्पर्श करने के लिए चले, क्योंकि उसका अग्रभाग बहुत ऊंचा था।
ब्रह्मा जी के विपरीत अर्थात नीचे की तरफ का अंतिम भाग स्पर्श करने के लिए विष्णु जी वराह बनकर चले। विष्णु वराह बने ज्योर्तिलिंग के आसपास की धरती खोद-खोद कर नीचे बढ़ते रहे और ब्रह्मा जी हंस बनकर ऊपर की तरफ उड़ान भरते रहे।
यह क्रिया निरंतर हजारों वर्ष तक चलती रही परंतु उस ज्योर्तिलिंग का अंतिम भाग किसी के भी दर्शन में न आया जिसे स्पर्श करके वह परमेश्वर कहला सकते।
अपने इस प्रयास में दोनों असफल होकर वापस आ गए और वहीं बैठकर परमेश्वर नामक शक्ति को बारम्बार प्रणाम करने लगे और उस ज्योर्तिलिंग को देखकर आश्चर्य करने लगे कि वास्तव में यह है क्या?
यह दोनों इसी असमंजस में थे कि उन्हें ॐ का शब्द श्रवण हुआ। दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और फिर जिधर से आवाज आ रही थी उधर देखा तो दक्षिण की तरफ शिवजी विराजमान थे।
उन्हें देखकर विष्णु ने स्तुतिगान किया तो शिवजी हर्षित होकर बोले, ‘‘मैं तुमसे प्रसन्न हूं। तुम लोग क्यों व्यर्थ भ्रमित होते हो। वास्तव में तुम दोनों मेरी ही देह से उत्पन्न हुए हो। सृष्टिकर्ता ब्रह्मा मेरे दाहिने अंग से तथा विष्णु मेरे बाएं अंग से उत्पन्न हुए हैं। वरं ब्रूही।’’