Edited By Jyoti,Updated: 15 Sep, 2022 12:36 PM
“ब्रह्मास्त्र” ये एक ऐसा शब्द है जो इन दिनों काफी चर्चा में है। इसका कारण है बॉलीवुड की नई मूवी जिसका नाम ब्रह्मास्त्र है। इस मूवी को देखने की उत्सुक्ता लोगों में तेजी से बढ़ रही है। जिसकी मुख्य वजह न केवल मूवी के स्टार्स माने जा रहे हैं बल्कि कहा
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“ब्रह्मास्त्र” ये एक ऐसा शब्द है जो इन दिनों काफी चर्चा में है। इसका कारण है बॉलीवुड की नई मूवी जिसका नाम ब्रह्मास्त्र है। इस मूवी को देखने की उत्सुक्ता लोगों में तेजी से बढ़ रही है। जिसकी मुख्य वजह न केवल मूवी के स्टार्स माने जा रहे हैं बल्कि कहा जा रहा है इसका सबंध कही न कहीं हिंदू शास्त्रों से है। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर ब्रह्मास्त्र क्या है। तो आपको बता दें आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में इसी से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं कि आखिर हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मास्त्र क्या है व ये कितना ताकतवर माना जाता है।
चलिए जानते हैं-
हिंदू पौराणिक ग्रंथों व शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मास्त्र बेहद विनाशक व खतरनाक संहारक अस्त्र है, जिसकी उत्पत्ति स्वयं ब्रह्म देव ने की थी। शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार इस बनाने का ब्रह्मा जी का उद्देश्य था कि सृष्टि में सभी कार्य नियमपूर्वक होते रहे और नियंत्रण बना रहे। मान्यता है कि इसी विचार से ब्रह्मजी ने इस संहारक अस्त्र का निर्माण किया। बताया जाता है इसकी मारक क्षमता अचूक है। ब्रह्मास्त्र एक बेहद खतरनाक और तबाही मचाने वाला अस्त्र माना जाता है। बता दें हिंदू धर्म के पुराणों में इसी की तरह दो अन्य अस्त्रों का भी वर्णन मिलता है जो है ब्रह्मशीर्षास्र्ा और दूसरा ब्रह्माण्डास्त्र। ऐसा कहा जाता है इन दोनों भी निर्माण ब्रह्मा जी ने ही किया था, जिनके प्रयोग से पृथ्वी नष्ट हो सकती है।
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जैसे कि हमने आपको उपरोक्त बताया कि ब्रह्मास्त्र विश्व का सबसे खतरनाक अस्त्र है, जिसके विनाशक परिणामों की चर्चा हिंदू धर्म के पौराणिक शास्त्रों की कथाओं में बाखूबी की गई है। कहा जाता है कि ब्रह्मास्त्र शत्रु का नाश करके ही रहता है। इससे शत्रु का बच पाना असंभव है।
ग्रंथों की मानें तो रामायण और महाभारतकाल में ये अस्त्र कुछ खास ही योद्धाओं के पास था। रामायणकाल में ये केवल इसका प्रयोग करना केवल विभीषण और लक्ष्मण ही जानते थे तो वही महाभारत काल में यह सिर्फ द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, भगवान श्रीकृष्ण, कुवलाश्व, युधिष्ठिर, कर्ण, प्रद्युम्न और अर्जुन ही चलाना जानते थे। हालांकि गुरू परशुराम के श्राप के चलते कर्ण अंतिम समय में इसे चलाने की विद्या भूल गए थे।
तो वहीं महाभारत के युद्ध में ब्रह्मास्त्र की मामूली जानकारी रखने वाले अश्वत्थामा ने युद्ध के अंत में गुस्से में आकर इसे चला दिया, प्रत्युत्तर में अर्जुन ने भी अश्वत्थामा पर ब्रह्मास्त्र चला दिया था जिससे भयंकर तबाही शुरू हो गई थी।