Edited By Prachi Sharma,Updated: 16 Apr, 2025 01:52 PM
भगवान श्री गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता, शुभकर्ता, और बुद्धिदाता कहा जाता है, हिन्दू धर्म में सबसे पहले पूजनीय देवता हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेश जी के नाम के बिना अधूरी मानी जाती है।
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Budhwar ke Upay: भगवान श्री गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता, शुभकर्ता, और बुद्धिदाता कहा जाता है, हिन्दू धर्म में सबसे पहले पूजनीय देवता हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेश जी के नाम के बिना अधूरी मानी जाती है। विशेष रूप से बुधवार के दिन श्री गणेश की पूजा का अत्यंत महत्व है। इस दिन श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से जीवन में आ रही हर प्रकार की बाधाएं, मानसिक तनाव, आर्थिक समस्या और पारिवारिक कलह दूर होती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार बुधवार का दिन बुध ग्रह से संबंधित होता है। बुध ग्रह बुद्धि, वाणी और व्यापार का कारक माना जाता है। श्री गणेश जी को बुद्धि और विवेक का देवता कहा जाता है। अतः बुधवार के दिन श्री गणेश जी की उपासना करने से न केवल बुध ग्रह के दोष समाप्त होते हैं बल्कि जीवन में बुद्धिमत्ता और सफलता भी प्राप्त होती है।
॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जै गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।
गौरी ललन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि सिद्धि तव चंवर सुधारे।
मूषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहो जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
अति शुचि पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्ह भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा॥
अतिथि जानि कै गौरी सुखारी।
बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै।
पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आये शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो।
उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि, मन सकुचाई।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥
पड़तहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा।
बालक सिर उड़ि गयो आकाशा॥
गिरिजा गिरीं विकल ह्वै धरणी।
सो दुख दशा गयो नहीं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा।
शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
काटि चक्र सो गज शिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण, मंत्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वन दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
सम्वत अपन सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश॥

चालीसा पाठ से होने वाले लाभ:
चालीसा पाठ ध्यान और मंत्रोच्चारण के रूप में काम करता है जो मन को शांत करता है।
गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए पाठ से जीवन की रुकावटें दूर होती हैं।
विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोगों को विशेष लाभ मिलता है।
चालीसा का पाठ व्यापार में आ रही अड़चनों को दूर करता है और आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाता है।
बुध ग्रह के दोष दूर होते हैं, विशेषकर यदि बुध की दशा या अंतरदशा चल रही हो।