Edited By Sarita Thapa,Updated: 01 Jan, 2025 02:46 PM
Budhwar Vrat Katha: बुधवार का दिन बप्पा की पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है। किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
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Budhwar Vrat Katha: बुधवार का दिन बप्पा की पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है। किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही जीवन में हमेशा खुशियां बनी रहती है। बुधवार का व्रत व्यक्ति के जीवन में धन-दौलत लाता है। बुधवार व्रत के दिन बप्पा की पूजा करने के बाद गणेश जी की व्रत कथा जरूर पढ़े। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश जी कथा पढ़ने से जीवन के हर दुख-दूर होते हैं। तो आइए जानते हैं बुधवार व्रत से जुड़ी कथा के बारे में-
Budhwar Vrat Ki Katha बुधवार व्रत की कथा
पौराणिक कथा अनुसार, एक बुढ़िया माई रोज मिट्टी के गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करती थी। लेकिन वह रोज गणेश जी की प्रतिमा बनाती और वह रोज ही गल जाता था। उस बुढ़िया के घर के सामने किसी एक सेठ का मकान बन रहा था। बुढ़िया ने मकान बनाने वाले मिस्त्री से बोला कि वह उसे एक पत्थर के गणेश जी की मूर्ति बना कर दें।
मकान बनाने वाले कारीगर ने बुढ़िया माई को बोला कि जितनी देर में हम तुम्हारे के लिए गणेश जी की मूर्ति बनाएंगे। उतनी देर में हम अपनी दीवार पूरी कर देंगे। बुढ़िया यह सुनकर बहुत उदास हो गई और गुस्से में बोली कि राम करें कि तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाएं। यह कहकर बुढ़िया घर की तरफ वापस चली गई। अब दीवार को पूरा करते-करते शाम हो गई लेकिन दीवान पूरी न हो सकी। जितनी बार मिस्त्री दीवार बनाने का प्रयास करता। उतनी बार दीवार टेढ़ी हो जाती।
शाम को जब सेठजी आए तो उन्होंने कहा कि आज कुछ काम नहीं किया। तब मकान बनाने वाले एक कारीगर ने कहा कि एक बुढ़िया आई थी, वो कह रही थी मुझे पत्थर का गणेश बना कर दे दो, हमने नहीं बना कर दिया तो उसने कहा तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। तब से दीवार सीधी नहीं बन रही है। तब सेठजी उस बुढ़िया के घर गए और उसने कहा कि तुम हमारी दीवार सीधी कर दो। हम तुम्हे सोने के गणेश जी बनाकर देंगे। सेठ ने बुढ़िया को सोने के गणेश जी बना कर दिया। उसी समय ही सेठ की दीवार सीधी हो गई। यह देखकर बुढ़िया ने गणेश जी से प्रार्थना करते हुए कहा कि जैसे सेठ की दीवार सीधी की वैसी ही सबकी जीवन की दीवार को सीधा करना।