Edited By Prachi Sharma,Updated: 05 Feb, 2025 11:49 AM
व्रतों का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है और प्रत्येक दिन का व्रत अपनी अलग-अलग महिमा और उद्देश्य के साथ मनाया जाता है। बुधवार का व्रत विशेष रूप से बुध ग्रह को संतुष्ट करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है
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Budhwar Vrat Katha: व्रतों का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है और प्रत्येक दिन का व्रत अपनी अलग-अलग महिमा और उद्देश्य के साथ मनाया जाता है। बुधवार का व्रत विशेष रूप से बुध ग्रह को संतुष्ट करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। बुध ग्रह का महत्व वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बहुत अधिक है क्योंकि यह व्यक्ति की बुद्धि, संचार, व्यापार और वाणी से संबंधित है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध कमजोर है, तो उसके जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बुध ग्रह के प्रभाव को सही करने के लिए बुधवार का व्रत रखा जाता है। बुधवार का व्रत रखने से बुद्धि के साथ-साथ समृद्धि, धन और संपत्ति की प्राप्ति भी होती है। इसे विशेष रूप से बुद्ध ग्रह के पूजन के रूप में माना जाता है, ताकि जीवन में किसी भी प्रकार की विफलता और तनाव से छुटकारा पाया जा सके।
Budhwar Vrat Katha बुधवार व्रत कथा
किवदिंतियों के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। उनका जीवन बहुत ही कठिनाइयों में बीत रहा था। पति-पत्नी दोनों ही निर्धन थे, और कई वर्षों से उनके पास कोई संतान भी नहीं थी। वे दोनों भगवान से प्रार्थना करते थे कि उनके जीवन में कोई सुख और समृद्धि आये।
एक दिन, ब्राह्मण की पत्नी को किसी ने बताया कि बुधवार का व्रत करने से भगवान बुध की कृपा मिलती है, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। ब्राह्मणी ने व्रत करने का निश्चय किया और बुधवार के दिन वह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करके व्रत का आरंभ करती हैं। उन्होंने व्रत की पूरी विधि को बहुत श्रद्धा और निष्ठा से किया।
व्रत के दौरान वह भगवान श्री गणेश की पूजा करती हैं और साथ ही बुध ग्रह की भी आराधना करती हैं। वह मन ही मन भगवान से यह प्रार्थना करती हैं कि उनके जीवन में कोई संतान हो और उनका घर आंगन खुशहाल हो।
कुछ दिनों बाद ब्राह्मणी को एक अद्भुत स्वप्न आया, जिसमें भगवान बुध ने उन्हें आकर कहा कि उनकी प्रार्थनाएं सुन ली गई हैं। भगवान ने कहा, "तुमने जिस श्रद्धा से बुधवार व्रत किया है, उसके फलस्वरूप तुम्हारी संतान का जन्म होगा और तुम्हारे जीवन में समृद्धि आएगी।"
इस स्वप्न के बाद ब्राह्मणी गर्भवती हुईं और कुछ महीनों बाद उन्होंने एक सुंदर संतान को जन्म दिया। उनका जीवन बदल गया और वे दोनों बहुत खुशहाल हो गए। इसके साथ ही उनके घर में धन-धान्य की भी कोई कमी नहीं रही।
ब्राह्मणी का यह व्रत न केवल उनके लिए बल्कि पूरे नगर के लिए एक उदाहरण बन गया। वह दिन-प्रतिदिन अपने व्रत को श्रद्धा और निष्ठा से करती रहीं, और उनके जीवन में हर प्रकार की सुख-समृद्धि आई।