आजकल हर जातक करियर के लिए चिंतित दृष्टिगोचर होता है। ऐसे में उसकी जन्म पत्रिका उसे आजीविका, धंधा, व्यवसाय आदि के निर्धारण में सटीक मार्गदर्शन
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Astrology career: आजकल हर जातक करियर के लिए चिंतित दृष्टिगोचर होता है। ऐसे में उसकी जन्म पत्रिका उसे आजीविका, धंधा, व्यवसाय आदि के निर्धारण में सटीक मार्गदर्शन दे सकती है और उसके अनुसार कार्य करने पर जातक सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगता है। यह सत्य है हर प्राणी अपने पूर्वकर्मानुसार भाग्य लेकर उत्पन्न होता है। जन्म लेते समय ग्रहों और नक्षत्रों की जो स्थिति होती है, वह जातक के जीवन के हर पल का निर्धारण कर देती है और उसे उसी प्रकार शरीर, आयु, धन, विद्या, बुद्धि, पत्नी, संतान, मान-सम्मान, भाग्य, कर्म, लाभ हानि का निर्धारण मिलता जाता है। अत: प्रत्येक जातक के माता-पिता के लिए आवश्यक है कि वे अपने पुत्र एवं पुत्री की जन्म कुंडली अवश्य रखें। बिना कुंडली के भाग्य एवं जीवन के विषय में कुछ भी नहीं जाना जा सकता।
जन्म पत्रिका के अभाव में आंखें मूंदकर चलने वाली स्थिति है। जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर जो राशि उदित हो रही हो, वह जातक की जन्म लग्न होती है। जन्म लग्न का जातक के रूप रंग, कद-काठी एवं व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है। इसी लग्न का जातक के कर्म-क्षेत्र पर भी समुचित प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि ज्योतिष के प्राचीन और अर्वाचीन विद्वान लग्न को आजीविका चयन में दशम स्थान में स्थित ग्रह के समान ही महत्व देते हैं। शुभाशुभ कर्म, आदेश का प्रचार-प्रसार एवं प्रभाव, कृषि, पिता, करियर, यश, सरकारी नौकरी की प्राप्ति, ऊंचा पद, नींद, गहने, अभिमान, खानदान, शास्त्र ज्ञान, दूर देश में निवास, ऋण, शिल्प विद्या, वस्त्राभूषण, वर्षा, सूखा पड़ना, नौकर चाकर तथा घुटना इन सबका विचार दशम भवन से ही करना चाहिए।
इस प्रकार जिस ग्रह का सर्वाधिक प्रभाव होगा, जातक की आजीविका उसी ग्रह से संबंधित व्यवसाय से होगी। जन्म कुंडली का दशम भाव आजीविका निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
फलित ज्योतिष में प्राय: शनि, मंगल, राहू, केतु को क्रूर ग्रह की संज्ञा दी है। इनकी युति को अशुभ बतलाया है, किन्तु इंजीनियरिंग व्यवसाय में मंगल, शनि, राहु-केतू की विशेष भूमिका रहती है। मंगल, जोकि उत्साह, ऊर्जा, अस्त्र-शस्त्र, विद्युत तापघर, बिजली से चलने वाले विविध प्रकार के यंत्रों का रखरखाव, औद्योगिक अनुसंधान शोध एवं गहन अध्ययन का कारक है, इंजीनियरिंग व्यवसाय का विचार करने में शनि और मंगल की महत्ता स्पष्ट रूप से दिखलाई देती है। इंजीनियरिंग क्षेत्र के निर्धारण में इन ग्रहों के कारक तत्व का अध्ययन किया जा सकता है।
यह तो सामान्य ज्ञान था। अब मैं करियर से संबंधित कुछ योग प्रस्तुत कर रहा हूं। जब शुक्र कर्म भाव में बैठा हो या कर्म भाव का स्वामी शुक्र के नवांश में गया हो, तो ऐसे जातक की आजीविका निम्न व्यवसायों से संबंधित होगी- नाचना, गाना, अभिनय, लेख, कविता, पशुओं का व्यापार, सौंदर्य प्रसाधन, रत्न, सोना आदि, गुड़, चावल, फल, कृषि के कार्य, दूध, दही, वकालत, अध्यापन एवं वाहन आदि अर्थात व्यक्ति इन्हीं व्यवसायों से धन कमाने में सफल हो सकेगा।
अगर शनि की स्थिति कुंडली में बलयुक्त हुई तो आजीविका उच्च स्तर की होगी और शनि कुंडली में निर्बल हुआ तो आजीविका सामान्य स्तर की होगी। राहु-केतू अगर दशम घर में हों अथवा दशमेश राहू के नवांश में गया हो तो जातक के व्यवसाय निम्न प्रकार से होंगे-तकनीकी कार्य, टाइपिस्ट, कुली, मजदूर, टेलर, ठेकेदार, कम्प्यूटर, जासूस, ड्राफ्टसमैन, वायुयान या डाक, तार विभाग, उपन्यासकार, कुशल तांत्रिक, कम्पोजिटर, मैकेनिक, उपदेशक, ड्राइवर, बिजली, टैलीफोन, खेल, पहलवान, जेलर, राजनीतिज्ञ आदि।
उपर्युक्त स्थिति का केतु जातक को निम्न व्यवसाय में लगता है- गणित, धर्मशास्त्र, मनोविज्ञान, चिकित्सा, शिकार, पाषाण, कला, पशुओं का व्यापार, दलाली, सम्पत्ति का आदान-प्रदान, रबड़, प्लास्टिक, व्यवसाय, कैमिकल आदि। अगर जन्मकुंडली के दशम भाव में कुमार ग्रह बुध बैठा हो और दशम भाव पर अन्य शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो जातक व्यापार में सफल रहता है।
लग्नेश एवं कामेश का संबंध, चाहे वह जैसे भी हुआ हो, जातक को व्यापार में सफलता देता है। इसी प्रकार यदि दसवें भाव का स्वामी केंद्र में त्रिकोण में या लाभ भाव में शुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो, तो जातक को धनी व्यवसायी बनाता है।
इसी प्रकार ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातक रसायन, इंजीनियर, बायलर, पम्पिंग सैट, मैकेनिक, गणितज्ञ, प्रवक्ता, आंकड़ा विश्लेषक, एजैंट, संपादक, मशीनमैन, बुनकर, कपड़ा उद्योग के व्यापारी, अभिनय कर्मों में करियर बनाते हैं। न्यायाधीश के पद तथा यश की प्राप्ति का कारक सूर्य होता है।
आई.ए.एस. तथा इसके समकक्ष नौकरी के लिए सूर्य का शुभ स्थिति में होना परम आवश्यक है। अगर आत्मकारक के साथ मंगल ग्रह बैठा हो, तो ऐसा जातक अग्नि संबंधी कार्यों में आजीविका चलाता है। वह जातक मिलिट्री, पुलिस, रसायन, विभाग, परमाणु संयंत्र आदि से संबंधित होता है। आत्मकारक के साथ बुध के स्थित होने पर जातक सफल व्यापारी अथवा शिल्पी होता है। पुलिस विभाग से भी मंगल की स्थिति का गहरा संबंध है लेकिन पुलिस वालों का मंगल सम होता है क्योंकि उन्हें लोगों से सामना करना है।
कारकांश कुंडली में आत्म कारक ग्रह के साथ सूर्य बैठा होने पर जातक राजकीय कर्मचारी होता है। सेना विभाग में तीन सेनाओं के कारक अलग-अलग होते हैं। जल सेना का संबंध चंद्रमा की शुभ स्थिति से होता है। खुला आकाश और हवा से गुरु का अच्छा संबंध है, अत: एयरफोर्स से संबंधित जातकों की कुंडली में गुरु की स्थिति अच्छी होती है। मंगल को सेनापति कहा गया है, अत: थल सेना में शुभ मंगल उच्च पदवी पर पहुंचता है। थल सेना के लिए उच्च ग्रह मंगल होता है क्योंकि यह बहादुरी से दुश्मन से लड़ता है।