Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Mar, 2025 09:16 AM

Chaitra Navratri 2025: होली के बाद के "फाग" या फागुन माह को विशेष रूप से महत्व दिया जाता है। यह समय केवल रंगों का नहीं होता, बल्कि एक विशेष सामाजिक स्थिति का प्रतीक होता है। इस समय को लोग विशेष रूप से संगीत, नृत्य और लोक कला के माध्यम से मनाते हैं।...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Chaitra Navratri 2025: होली के बाद के "फाग" या फागुन माह को विशेष रूप से महत्व दिया जाता है। यह समय केवल रंगों का नहीं होता, बल्कि एक विशेष सामाजिक स्थिति का प्रतीक होता है। इस समय को लोग विशेष रूप से संगीत, नृत्य और लोक कला के माध्यम से मनाते हैं। फागुन माह के बाद आने वाली चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है, जो हिंदू कैलेंडर का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है।

Chaitra navratri mahatava चैत्र नवरात्रि का महत्व:
नवदुर्गा की पूजा:
चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन एक अलग रूप की पूजा होती है और इन्हें नवदुर्गा के रूप में जाना जाता है। ये 9 रूप हैं:
शैलपुत्री (पहला दिन)
ब्राह्मचारिणी (दूसरा दिन)
चंद्रघंटा (तीसरा दिन)
कूष्मांडा (चौथा दिन)
स्कंदमाता (पांचवां दिन)
कात्यायनी (छठा दिन)
कालरात्रि (सातवां दिन)
महागौरी (आठवां दिन)
सिद्धिदात्री (नौवां दिन)

चैत्र नवरात्रि व्रत:
नवरात्रि के दौरान लोग उपवासी रहते हैं और केवल फलाहार करते हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक शुद्धता होती है। यह उपवास आत्मनियंत्रण, पवित्रता और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
चैत्र नवरात्रि में साधना और ध्यान:
नवरात्रि का समय साधना, ध्यान और प्रार्थना के लिए भी उपयुक्त माना जाता है। लोग इस दौरान अधिक से अधिक समय नवदुर्गा के ध्यान में लगाते हैं, जिससे उनकी मानसिक स्थिति शांति और संतुलन में रहती है।

चैत्र नवरात्रि में रात्रि जागरण:
विशेष रूप से नवरात्रि की रात्रियों में देवी के भजन, कीर्तन और आरती का आयोजन किया जाता है। इस समय भक्त मां दुर्गा के गुणों और उनके नौ रूपों की महिमा का गान करते हैं। रामायण और महाभारत के कुछ विशेष प्रसंग भी इस दौरान सुनाए जाते हैं।
चैत्र नवरात्रि की पूजा विधि:
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घर में कलश स्थापना की जाती है। यह पूजा समृद्धि, सुख और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए होती है। इसके बाद नौ दिनों तक देवी की पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान लोग हवन, यज्ञ, और शांति पाठ भी करते हैं।
चैत्र नवरात्रि में आध्यात्मिक उन्नति और जागरूकता:
चैत्र नवरात्रि के दौरान मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का महत्व होता है। यह दिन एक नए आरंभ और आत्मनिर्भरता का प्रतीक होते हैं। भक्त देवी के आशीर्वाद से अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं।
