Edited By Jyoti,Updated: 02 Apr, 2019 05:55 PM
चैत्र नवरात्रि के पास आते ही हर कोई मां को रिझाने में लग जाता है। ज्योतिष और वास्तु के अनुसार इस दौरान कुछ बातों को अपनाने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। श्रद्धालु 9 दिनों तक माता को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाने के लिए उनकी विधि-विधान से साथ पूजा...
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चैत्र नवरात्रि के पास आते ही हर कोई मां को रिझाने में लग जाता है। ज्योतिष और वास्तु के अनुसार इस दौरान कुछ बातों को अपनाने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। श्रद्धालु 9 दिनों तक माता को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाने के लिए उनकी विधि-विधान से साथ पूजा करते हैं साथ ही तरह-तरह के करते हैं। मां सच्चे अपने भक्तों की हर इच्छा को पूरा भी करती हैं। ज्योतिषियों के अनुसार इस बार के चैत्र नवरात्र पर बेहद खास संयोग बन रहे हैं। तो वहीं कुछ वास्तु विज्ञानियों के अनुसार नवरात्र के इन 9 दिनों तक 9 अलग-अलग प्रकार के रंगों के वस्त्रों को पहनकर या फिर रंग अपने पास रखकर 9 दिनों तक नीचे बताए गये 9 प्रकार के भोग प्रसाद मां दुर्गा को लगाने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है।
वास्तु विशेषज्ञों का मानना है कि नवरात्रि में दुर्गा को भोग लगाने से पहले आगे बताए जाने वाले रंगों के वस्त्र धारण करें। अगर वस्त्र पहनना संभव न हो तो रंगों को अपने पास रखकर ही 9 दिनों तक मां को 9 प्रकार के भोग माता को अर्पित करें।
इसके अलावा नवरात्रि के पहले दिन घर में जौ की बुवाई ज़रूर करें और आखिरी नवरात्रि के दिन इसको पीसकर उसको प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लें। इससे अनेकों बीमारियों से मुक्ति मिल जाएगी। मान्यता है कि देवी मां को चैत्र नवरात्रि के दौरान जौ अर्पण करने माता प्रसन्न हो जाती हैं।
इन रंगों का करें प्रयोग-
- पहले दिन हरा रंग
- दूसरे दिन नीला रंग
- तीसरे दिन लाल रंग
- चौथे दिन नारंगी रंग
- पांचवें दिन पीला रंग
- छटवें दिन नीला रंग
- सातवे दिन बैंगनी रंग
- आठवें दिन गुलाबी रंग
- नवमें दिन: सुनहरा रंग
ये 9 तरह के भोग प्रसाद माता को अर्पन करें-
नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा विभिन्न 9 रूपों की आराधना की जाती हैं, इसलिए उन्हें 9 दिनों तक अलग अलग प्रकार के भोग लगाकर प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता हैं।
पहले दिन- केले का भोग लगाएं।
दूसरे दिन- गाय के दूध या घी से बने मिष्ठान का भोग लगाएं।
तीसरे दिन- नमकीन मक्खन का भोग लगाएं।
चौथे दिन- मिश्री का भोग लगाएं।
पांचवें दिन- सफ़ेद खीर या दूध का भोग लगाएं।
छठें दिन- माल पुआ का भोग लगाएं।
सातवें दिन- शहद का भोग लगाएं।
आठवें दिन- गुड़ व नारियल का भोग लगाएं।
नवमें दिन- धान के हलवा का भोग लगाएं।
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