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Chamayavilakku festival: मंदिर में मनोकामना पूर्ति के लिए ‘पुरुष करते हैं महिलाओं का वेश धारण’

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Apr, 2023 11:34 AM

chamayavilakku festival

केरल के कोल्लम के चावरा में प्रसिद्ध कोट्टनकुलंगरा देवी मंदिर में पारम्परिक अनुष्ठान के हिस्से के रूप में इस साल मार्च में 19 दिन

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Chamayavilakku festival:  केरल के कोल्लम के चावरा में प्रसिद्ध कोट्टनकुलंगरा देवी मंदिर में पारम्परिक अनुष्ठान के हिस्से के रूप में इस साल मार्च में 19 दिन चलने वाले त्यौहार के अंतिम 2 दिनों में हजारों पुरुष महिलाओं के रूप में तैयार होते हैं। मान्यता है कि यदि पुरुष उत्सव के अंतिम दो दिनों में महिलाओं के रूप में तैयार होते हैं, तो स्थानीय देवता प्रसन्न होते हैं और मनोकामना पूरी करते हैं। पिछले कुछ सालों में अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ आने वाले पुरुषों की संख्या में वृद्धि हुई है और 10,000 का आंकड़ा पार कर लिया गया है।

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इस विशेष घटना को कोट्टनकुलंगरा चमयविलक्कू कहा जाता है। सबसे लोकप्रिय कहानी के अनुसार, इस परम्परा की शुरुआत लड़कों के एक समूह द्वारा की गई थी, जो गायों को पालते थे और लड़कियों के रूप में तैयार होते थे। वे फूल और ‘कोटन’ (नारियल से बनने वाली डिश) चढ़ाते थे। एक दिन देवी एक लड़के के सामने प्रकट हुईं।

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इसके बाद देवी की पूजा करने के लिए महिलाओं के रूप में पुरुषों के कपड़े पहनने की रस्म शुरू हुई। मंदिर में स्थापित एक पत्थर को देवता माना जाता है। एक मान्यता यह भी है कि पत्थर सालों से आकार में बढ़ता जा रहा है। अब जब यह अनुष्ठान बेहद लोकप्रिय हो गया है, तो यह त्यौहार विभिन्न धर्मों के लोगों को आकर्षित करता है और उनमें से बड़ी संख्या में लोग केरल के बाहर से आते हैं।

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तमिलनाडु के एक युवक शेल्डन ने कहा, ‘‘मैं कुछ सालों से इस अनुष्ठान के बारे में सुन रहा था और यहां आना चाहता था। आखिरकार मैं इस साल आ गया। एक महिला के रूप में तैयार होने के बाद, मुझे लगा कि मैंने वह हासिल कर लिया है जिसकी मैं कुछ समय से योजना बना रहा था।’’

अनुष्ठान में भाग लेने के लिए सबसे शुभ समय 2 बजे से 5 बजे के बीच है। पारम्परिक साड़ी में सजे-धजे पुरुषों को शाम के समय दीपक ले जाते हुए भारी संख्या में देखा जा सकता है। पुरुषों को महिलाओं या लड़कियों के रूप में तैयार होने के लिए एक दीपक साथ ले जाना पड़ता है जो किराए पर उपलब्ध होते हैं लेकिन उन्हें अपनी पोशाक खुद लानी पड़ती है। अगर किसी को मदद की जरूरत है, तो सहायता के लिए ब्यूटीशियंस भी मौजूद हैं।

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